कांग्रेस की हालत भले ही आज जैसी भी हो, पर देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने में इस पार्टी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उस दौर में कांग्रेस एक पार्टी भर नहीं बल्कि एक विचारधारा भी थी। लोग इसके साथ जुड़े रहने पर गर्व महसूस करते थे, पर आज वक्त ने करवट बदल ली। तो समय के साथ कांग्रेस में कई बड़े बदलाव हुए हैं। समय बीतने के साथ ही इसके साथ एक नाम जुड़ गया गांधी का, जो एक दूसरे के पर्याय बन गए। लोग समझने भी लगे कांग्रेस का मतलब ही गांधी है।
130 साल से भी ज्यादा पुरानी कांग्रेस सबसे बड़ी और सबसे मजबूत पार्टी रही है। कांग्रेस जिसका गठन 28 दिसंबर 1885 हुआ था। आजादी के पहले इसका रूप राजनीतिक नहीं था बल्कि जनआंदोलन के लिए इस पार्टी का गठन हुआ था। एक साथ एक जुट होकर काम करना ही इस पार्टी का उद्देश्य रहा है। देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में इस पार्टी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
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समय बीतने के साथ इंदिरा गांधी के इस पार्टी की बागडोर संभालने के दौरान यह पार्टी काफी सफल रही है। इंदिरा जी हमेशा यही चाहती थीं कि इसकी आगे की बागडोर प्रियंका ही सभालें जिस पर उनका विश्वास अटूट था। पर वो मानती भी थीं कि प्रियंका ही उनकी उत्तराधिकारी हो सकती हैं। प्रियंका लंबे समय तक भारतीय राजनीति में अपना योगदान दे सकती हैं। इंदिरा गाधीं ने प्रियंका के चेहरे पर राजनीति के सभी गुण देखे थे जिसे देख वो हमेशा यही कहती थीं कि कांग्रेस को सही मजबूती प्रियंका ही दे सकती हैं। लेकिन सोनिया इसके खिलाफ थीं। सोनिया कभी नहीं चाहती थीं कि उनके बच्चे राजनीति से जुड़ें।
गांधी परिवार के सबसे वफादार माने जाने वाले माखनलाल फोतेदार ने अपनी किताब में लिखा है और ये दावा करते हैं कि गांधी परिवार से जुड़ी सभी बातों का उल्लेख उसमें है। उन्होंने बताया है कि इंदिरा गांधी को अपनी मौत का आभास कश्मीर के एक मंदिर में जाते समय हो चुका था। उस वक्त उस मंदिर पर उन्होंने कुछ ऐसा देखा था, जिससे उनको अपनी मौत का आभास हो गया था। मंदिर में दर्शन करने के बाद जब वो रेस्ट हाउस आईं, तो कहा कि उन्हें लगता है कि प्रियंका ही उनकी उत्तराधिकारी हो सकती हैं। प्रियंका लंबे समय तक भारतीय राजनीति में अपना योगदान दे सकती हैं।