देश के प्रधानमंत्री को लेकर देश की जनता चाहे कितनी भी खुश हो, लेकिन नेता हैं कि उन पर एक के बाद एक आरोप लगाने से नहीं चूकते हैं। अब दिल्ली के सीएम केजरीवाल को ही ले लीजिए। अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के मामले को लेकर वह बार-बार बीजेपी और कांग्रेस पर जमकर हमला बोल रहे हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस का महागठबंधन हो रखा है। उनके मुताबिक पीएम मोदी चुप बैठे हैं। देश की जनता ने उन्हें ऐक्शन लेने के लिए प्रधानमंत्री बनाया था, लेकिन वह सोनिया गांधी से डरते हैं। इसलिए उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड मामले की जांच नहीं कराई।
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बात सिर्फ यहीं नहीं थमी। उन्होंने ये भी कहा कि पीएम मोदी के अंदर सोनिया गांधी से कोई सवाल पूछने की हिम्मत तक नहीं है। अगर सोनिया से पूछताछ होती है तो सारे मामले का खुलासा हो जाएगा। उन्होंने इस दौरान सोनिया गांधी को गिरफ्तार करने की मांग भी उठाई। वहीं दूसरी ओर आप अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अरुण शौरी को ही देख लीजिए। इनको भी हमारे देश के पीएम खटक रहे हैं। उनके मुताबिक सरकार बस चल रही है, लेकिन इससे कोई हिसाब-किताब लेने वाला नहीं है। उन्होंने पीएम को अहंकारी और मौकापरस्त बताते हुए मोदी पर एक शख्स के द्वारा राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार को चलाने का आरोप लगाया। उनके मुताबिक यह भारत के लिए किसी खतरे से कम नहीं है।
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उन्होंने कहा कि पीएम मोदी देश की जनता को नैपकिन की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इस्तेमाल होने पर वह उन्हें फेंक देते हैं। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रपति प्रणाली से चलने वाली सरकार की तरह है। जो सिर्फ मोदी के इशारों पर चल रही है। जिसको कोई पूछने वाला तक नहीं है। यह भारत के लिए खतरनाक है। उन्होंने मोदी सरकार के दो सालों का विश्लेषण करते हुए चेतावनी दी कि देख लेना अगले तीन साल में ही ये मोदी सरकार एक विशेष रणनीति बनाकर देश के लोगों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का प्रयास करेगी। विक्रेंदीयकरण खत्म हो जाएगा और विरोधी पार्टियों की आवाजों को भी दबा दिया जाएगा।
बता दें कि इससे पहले भी कई बार अरुण शौरी पीएम पर ऐसा निशाना साध चुके हैं। वहीं उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड मामले पर भी इसकी काफी आलोचना की थी।