आपने कई बावड़ी देखी होंगी पर आज हम आपको एक ऐसी बावड़ी के बारे में बता रहें हैं जिसकी सीढ़ियों के सहारे आप जमीन की गहराईयों तक पहुंच जायेंगे। बात बावड़ी की हो रही हैं तो आपने “रानी की बावड़ी” के बारे में सुना ही होगा जोकि गुजरात के पाटन में हैं। इसकी खूबसूरती बेहद दर्शनीय और आकर्षक हैं। मगर आज हम आपको जिस बावड़ी के बारे में बता रहें हैं वह रानी की बावड़ी के जैसी खूबसूरत तो नहीं हैं पर अपने आप में अलग महत्त्व रखती हैं। यह मध्य प्रदेश के जिला श्योपुर से करीब 22 किमी की दूरी पर कांचरमूली गांव में हैं।
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इसकी खासियत यह हैं कि जिस प्रकार से गुजरात की बावड़ी में लोग उसकी सीढ़ियों के सहारे नीचे तक घूम आते हैं उसी प्रकार से इस कांचरमूली गांव की बावड़ी में भी लोग इसकी सीढ़ियों के सहारे नीचे तक आसानी से उतर जाते हैं। इसके तल में पानी का एक श्रोत हैं और उसमें से लगातार स्वच्छ जल आता रहता हैं। स्थानीय लोगों को यह तो नहीं पता कि यह बावड़ी कितनी पुरानी हैं पर अनुमान हैं कि यह करीब 600 वर्ष पुरानी हैं।
यह ऊपर से चकोर हैं पर इसका आतंरिक हिस्सा गोलाकार बना हुआ हैं। यह करीब 180 फिट गहरी हैं। हैंरान कर देने वाली बात यह भी हैं कि इसके निर्माण में कहीं भी चूने या सीमेंट के इस्तेमाल का कोई साक्ष्य नहीं मिलता हैं। गांव के प्रधान शमीम बताते हैं कि 20 वर्ष पहले तक ग्रामीण इस बावड़ी का पानी पीने के लिए लाते थे।