फुंगणी माता मंदिर – यहां प्रसाद नहीं बल्कि चढ़ाये जाते हैं मैडल और ट्रॉफी

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देखा जाए तो देश में बहुत से धर्मों के लोग रहते हैं और अपने अपने धार्मिक स्थलों पर जाकर ईश्वर की उपासना करते हैं। इन सभी जगहों में कुछ जगहें अपनी खास विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं तो कुछ को लोगों ने अपनी मान्यताओं के कारण फेमस बना दिया है। आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में यहां बता रहें हैं वह भी कुछ ऐसा ही है। सामान्यतः लोग मंदिरों में प्रसाद के रूप में कुछ न कुछ खाद्य वस्तु चढ़ाते हैं, पर आज जिस मंदिर के बारे में यहां आपको बताया जा रहा है वहां लोग खेल में जीते हुए मैडल तथा ट्रॉफी को प्रसाद रूप में चढ़ाते हैं। यही कार्य इस मंदिर को अन्य देवालयों से अलग करता है। आपको बता दें कि इस मंदिर का नाम “फुंगणी माता मंदिर” है। आइये अब आपको विस्तार से बताते हैं इस मंदिर के बारे में।

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में है यह मंदिर

फुंगणी माता मंदिरImage Source:

देश के हिमाचल प्रदेश को देवस्थान का दर्जा मिला हुआ है क्योंकि यह प्रदेश बहुत से सुंदर तथा प्राकृतिक स्थानो से भरपूर है। हिमाचल के ही कुल्लू क्षेत्र के अंतर्गत कडिंगचा नामक गांव पड़ता है। यहीं पर स्थित है यह फुंगणी माता मंदिर। इस गांव में लगभग 300 के करीब आबादी है तथा 50 से 60 युवा यहां रहते हैं। ये लोग आसपास के क्षेत्रों में अपनी टीम बना कर खेलने के लिए जाते हैं। खेलों में जाने से पहले ये युवा लोग फुंगणी माता मंदिर में पूजन कर अपनी जीत की कामना करते हैं। खेल को जीतने के बाद में इनको जो भी ट्रॉफी या मैडल मिलते हैं उनको ये युवा लड़के फुंगणी मंदिर में ही प्रसाद के रूप में चढ़ा देते हैं। इस बारे में कडिंगचा गांव के स्थानीय लोगों का कहना है कि “मंदिर में मैडल को चढ़ाना उनकी आस्था को दिखाता है। इस मंदिर को सभी लोग एक ऊंचा तथा विशेष स्थान मानते हैं इसलिए वे मंदिर पर अपने मैडल तथा ट्रॉफी को चढ़ा देते हैं।”

इस बारे में माता फुंगणी युवक मंडल के प्रधान दुगले राम बताते हैं कि “उनकी टीम आजतक जहां कहीं भी खेलने के लिए गई वहां कभी नहीं हारी है। वे हर खेल से पहले देवी का आशीर्वाद जरूर लेते हैं।” गांव के अन्य लोग भी इस बात को स्वीकारते हैं कि देवी माता के पूजन के बाद ही गांव के युवाओं की टीम खेलने जाती है तथा आजतक इस गांव की टीम कभी खेल में नहीं हारी है। यही कारण है कि खेल में मिली जीत को देवी मां का आशीर्वाद समझ जीत की ट्रॉफी तथा मैडल को युवा मंदिर में चढ़ा देते हैं।”

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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