महाराष्ट्र के पथ प्रदर्शक और हिंदू हृदय सम्राट कहे जाने वाले शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की आज तीसरी पुण्यतिथि है। ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे में हुआ था।
आज से तीन साल पहले जब महाराष्ट्र का सूरज ढलते हुए अंतिम विदाई ले रहा था तब तो मानों जैसे पूरा जनसैलाब ठाकरे को अपनी बाहों में भरकर रोकने के लिए उमड़ पड़ा था, पर मौत के सामने उन्हें कोई रोक ना सका। बाला साहब ने अपनी आखिरी सांस लेते हुए सबसे विदा ले ली। पूरी मुंबई समेत महाराष्ट्र का वातावरण शोक से भर गया था। उनके पार्थिव शरीर को जब अंतिम दर्शन के लिए मुंबई के शिवाजी पार्क में रखा गया तब लाखों लोग उन्हें देखने उमड़े थे।
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जानकार बताते हैं कि कभी न रुकने वाली मुंबई बाला साहब के निधन के बाद मानों थम सी गई थी। बॉलीवुड, बिजनेस, सी-पोर्ट, टैक्सी स्टैंड, लोकल ट्रेन लगभग सभी जगह सन्नाटा पसरा था। किसी जमाने में कार्टूनिस्ट रहे ठाकरे ने महाराष्ट्र के साथ देश की राजनीति को भी कई बार प्रभावित किया। वे खुद बड़ी जिम्मेदारी लेने की बजाय किंगमेकर बनना ज्यादा पसंद करते थे। ठाकरे खुद को एडोल्फ हिटलर का प्रशंसक बताते थे और उन्हीं के रास्ते पर चलते भी थे तभी तो तत्कालीन शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे ने एक अलग ही तरह की राजनीति की।
उनका खुलेआम किसी को भी धमकी देने का अंदाज और उसके बाद उपजे हालात को वह देश के गौरव से जोड़ देते थे। बाबरी मस्जिद के टूटने के बाद जब बीजेपी बचाव में आ गई तो उन्होंने खुलेआम कहा कि अगर उस मस्जिद को शिवसैनिकों ने तोड़ा है तो उन्हें इस बात का गर्व है।
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बाल ठाकरे की यह खासियत थी कि उनके कट्टर विरोधी भी समय-समय पर उनके दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते थे। महाराष्ट्र में मराठियों की एक ऐसी सेना बनाई, जिनका इस्तेमाल वह विभिन्न कपड़ा मिलों और अन्य औद्योगिक इकाइयों में मराठियों को नौकरियां आदि दिलाने में किया। इसी वजह से लोग उन्हें हिंदू हृदय सम्राट कहने लगे।
बाला साहेब को उनके निरंतर खराब हो रहे स्वास्थ्य के चलते सांस लेने में कठिनाई के कारण 25 जुलाई 2012 को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया। 17 नवंबर 2012 को उनका देहांत हो गया।