कल पाकिस्तान में हुए आतंकी हमले के बाद यह बात एक बार फिर साफ़ हो गई है कि जेहाद की आड़ में मासूमों का खून बहाने वाले आतंकियों के दिल भी पूरी तरह से बारूद के ही बने हुए हैं। पिछले साल इन दहशतगर्दों ने पाकिस्तान के एक आर्मी स्कूल में पढ़ रहे मासूमों को अपना निशाना बनाया था और अब इन्होंने पाकिस्तान की ही एक यूनिवर्सिटी में दाखिल होकर एक बार फिर निर्दोष छात्रों और वहां मौजूद तमाम लोगों को अपनी बन्दूक का निशाना बनाया है।
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कल हुई इस वारदात में दहशत गर्दों ने पूरे चार घंटों तक दुनिया को अपना खौफ से भरा घिनौना चेहरा दिखाया। इन्होंने पाकिस्तान की बाचा खान यूनिवर्सिटी में घुस कर अचानक से अंधाधुंध गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। इससे पहले कि यूनिवर्सिटी में मौजूद प्रोफेसर और छात्र कुछ समझ पाते वे आतंकियों की गोलियों का शिकार होने लगे। यह हमला पेशावर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित खैबर पख्तूनख्वा में हुआ। यह यूनिवर्सिटी खैबर पख्तूनख्वा के शहर चारसदा से 15 किलोमीटर दूर है।
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इससे पहले की पाकिस्तान की पुलिस और सेना कुछ कर पाती तब तक कई युवा छात्र और निर्दोश मौत के आगोश में जा चुके थे। ऐसा माना जा रहा है कि इस आतंकी हमले के पीछे आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान का हाथ है। यह हमला ठीक वैसा ही था जैसे पिछले साल पाकिस्तान के एक आर्मी स्कूल में हुआ था। जैसे तहरीक-ए-तालिबान नाम का आतंकी संगठन पाकिस्तान के भीतरी सेना के स्कूलों व यूनिवर्सिटी को अपना निशाना बनाता है उसी तरह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन भारत के भीतरी हिस्सों को अपना निशाना बनाते हैं।
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बताया जा रहा है कि कल हुए आतंकी हमले में 50 लोग जख्मी हुए थे और 25 निर्दोष छात्रों की मौत हो गई। 6 आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा ने बताया कि आतंकवादियों के बारे में पाकिस्तान का दोहरा मापदंड है। आतंकवादियों को सेना और सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है। यही आतंकवादी पड़ोसी मुल्कों में जाकर आतंक फैलाते हैं। यही वजह है कि इन आतंकवादियों के विरुद्ध कोई कामयाब कार्रवाई नहीं की जाती।
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वहीं, इससे इतना तो साफ़ हो गया कि पाकिस्तान चाहे खुद की कितनी भी वकालत कर ले लेकिन आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहा। फिर चाहे इसके लिए उसे अपने ही मुल्क की बलि क्यों ना देनी पड़ रही हो।