पाकिस्तान की असल सोच और असल चेहरे से तो आप सब वाकिफ हैं ही। कई मामले ऐसे सामने आए जिनसे यह जाहिर हुआ कि भारत के प्रति पाक कभी संवेदनशील नहीं रहा है। चाहे मामला सरबजीत का हो या भारत की विदेशी नीतियों का। जानकारी के लिए आपको बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान ने एक बार फिर से अपना वही चेहरा दिखाया है जो कि सरबजीत केस के दौरान दिखाया था। असल में 55 वर्षीय भारतीय किरपाल सिंह का शव पाक ने बाघा बॉर्डर भेज दिया है। किरपाल सिंह पिछले 25 साल से पाकिस्तान की जेल में बिना किसी गुनाह के सजा काट रहे थे। किरपाल की बीते 11 अप्रैल को लाहौर की कोट लखपत जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। हालांकि पाकिस्तान ने उन पर कई प्रकार के गैर क़ानूनी मुक़दमे लगा रखे थे पर साबित अभी तक कुछ नहीं हुआ था। इसी से पता लग जाता है कि पाक की सोच हमारे देश के लोगों के प्रति कितनी नापाक है।
कौन थे किरपाल सिंह –
Image Source :https://twitter.com/
किरपाल सिंह, गुरदासपुर के रहने वाले थे और 1992 में बाघा बॉर्डर के रास्ते कथित रूप से पाक गए थे। पाकिस्तान में उनको जासूसी के केस में फंसा कर वहीं बंदी बना लिया गया था। उन्हें पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में हुए सिलसिलेवार धमाकों का दोषी बना कर पेश किया गया। इस मामले में उनको फांसी की सजा हुई थी पर लाहौर कोर्ट ने उनको बम धमाकों के अपराध से मुक्त कर दिया था, लेकिन उनकी सजा में अज्ञात कारणों से कोई रियायत नहीं हुई। इसके चलते ही वह पिछले 25 सालों से पाकिस्तान की जेल में ही कैद थे। वर्तमान में उनका शव पाकिस्तान ने बाघा बॉर्डर पहुंचा दिया। किरपाल सिंह के पारिवारिक लोगों का कहना है कि किरपाल सिंह को किसी साजिश के तहत फंसा कर मारा गया है। पाकिस्तान ने उनकी मृत्यु हार्ट अटैक से बताकर अपने हाथ झाड़ लिए हैं। किरपाल सिंह की बहन जागीर कौर का कहना है कि “उनका परिवार वित्तीय बाधाओं की वजह से आवाज नहीं उठा सका और उनके इस मामले को उठाने के लिए कोई नेता भी आगे नहीं आया।”