हमारा देश पुरूष प्रधान देश कहा जाता है क्योंकि यहां पर हर किसी धर्म, जाति के लोग हमेशा महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखते हुए उन्हें नीचे गिराते आये है। मुस्लिम समाज में तो यहां तक देखा गया है कि वहां की महिलाओं को मस्जिद के अंदर प्रवेश करना वर्जित माना गया है। उन्हें मस्जिद के अंदर जाने की अनुमति बिल्कुल भी नहीं दी जाती है पर अमरोहा जैसा एक छोटा शहर अपनी तस्वीर कुछ अलग ही बयां कर रहा है। यह देश की एक ऐसा इकलौता मस्जिद है जहां कि महिलायें नमाज पढ़ने के लिये मस्जिद जाती है। जहां वो बेखौफ होकर अपनी प्रार्थना करती है। भले ही अधंविशेवासों से घिरी मान्याताओं के आधार पर इन्हें इस अधिकार से वंचित रखा गया हो पर अमरोहा में मिली मस्जिद की ये तस्वीर एक नई राह की ज्योती जला औरतों को उनके अधिकारों से जोड़ने का प्रयास कर रही है जो अपने आप में एक बड़ी मिसाल है।
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बताया जाता है अमरोहा में महिलाओं के लिए बनाई गई यह मस्जिद करीब 100 वर्ष पुरानी है। किसी समय यह अमरोहा में रहने वाले सलीम गुलाम का घर हुआ करता था। जिनकी तीन बेटियां थी सबीरा, सेहरा और कनीज, इन तीन लड़कियों की पढ़ाई लिखाई के लिए इन्होंने कोई कसर नही छोड़ी। इसी भावना को देखते हुये उन्होंने अपने घर में एक छोटी सी मस्जिद बना डाली। जो आज हर महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक मिसाल बन कर उभर रही है।