जानिये गीता जयंती पर उसके ज्ञान और महत्त्व से जुड़ी खास बाते, पढ़िए हमारी यह खबर

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30 नवंबर यानि आज के दिन गीता जयंती का पर्व हैं। आज ही के दिन दुनिया को गीता का ज्ञान मिला था। हिंदू धर्म का यह पर्व मार्गशीर्ष शुक्‍ल एकादशी को मनाया जाता हैं। यह दिन मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं। आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद् गीता का ज्ञान दिया था।

यह ज्ञान ही श्रीमद्भगवद् गीता के रूप में जगत में प्रसिद्ध हुआ। गीता में 18 अध्याय हैं। जिनमें से पहले 6 अध्यायों में कर्मयोग, दूसरे 6 अध्यायों में ज्ञान योग तथा अंत के 6 अध्यायों में भक्तियोग का उपदेश दिया गया हैं।

श्रीमद्भगवद् गीता महात्मय और महत्त्व

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श्रीमद्भगवद् गीता सामान्यतः तो हिंदू धर्म का ग्रंथ माना जाता हैं पर इसके ज्ञान को सम्पूर्ण विश्व ने स्वीकार किया हैं। इस प्रकार इसको एक विश्व ग्रन्थ भी कहा जा सकता हैं। गीता दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ हैं जिसकी जयंती मनाई जाती हैं।

गीता का ज्ञान मानव को उसके वास्तविक जीवन से परिचित करा कर उसको सत्य के मार्ग की ओर अग्रसर करता हैं। गीता का ज्ञान मानव को क्रोध, स्वार्थ, अहंम, लोभ जैसी प्रवत्तियों के बंधन से निकाल कर उसे मुक्त करता हैं।

गीता का श्रवण, मनन तथा अध्ययन करने से मानव जीवन में श्रेष्ठा का भाव पैदा होता हैं। श्रीमद्भगवद्गीता के पर्व पर लोग गीता का पाठ करते हैं। इस्कॉन मंदिरों के अलावा कई अन्य मंदिरो में गीता तथा भगवान श्रीकृष्ण का पूजन किया जाता हैं। बहुत से लोग इस पर्व पर उपवास भी रखते हैं। इस पर्व पर लोग गीता के उपदेशों को पढ़ते हैं और उन पर मनन करते हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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