भागलपुर जिले में बसा एक ऐसा गांव जो कई सालों से बेरंग है यहां पर बसे लोग बेबस और असहाय सा जीवन जीने को मजबूर है। इस गांव के हर मां बाप कुवांरी लड़कियों के जीवनसाथी के आने का इतंजार है पर इनका सपना अभी तक पूरी नहीं हो पाया है। क्योंकि यह ऐसा पिछड़ा गावं है जहां पर कोई भी बाप अपने बेटे की शादी करने को तैयार नहीं है। इस पिछड़ेपन वाले गांव में पांच सौ से ज्यादा लड़कियां है जो अब तक कुवांरी बैठी दूल्हे का इंतजार कर रही है। इस गांव के हालात को देखकर और यहां पर किसी भी प्रकार का अावागमन के साधन ना होने के कारण लोग इस गांव की दुल्हन को ले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। इसके अलावा यहां की सबसे बड़ी वजह है चांदन नामक नदी। जिस पर पुल न होने की वजह से आसपास के गांव भी इस गांव से नहीं जुड़ पा रहे है और यही कारण है कि पिछले कई वर्षों से इस गांव में ना तो कोई बरात आई है और ना ही शहनाई बजी है।
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भागलपुर जिले से महज 12 कि.मीटर की दूरी पर बसा है सन्हौली गांव। इस गांव की आबादी लगभग 6000 लोगों की है। सन्हौली गांव में भले ही इंसान तो रह रहें हैं पर हर जनसुविधाओं से दूर होने के कारण काफी पीछड़े हुए है। किसी भी प्रकार की जनसंसाधन सुविधाएं मौजूद ना होने के कारण यहां पर लोग आना पसंद नहीं करते और दूसरा कारण यह है कि सन्हौली गांव में अावागमन के लिए ऐसी कोई सड़क भी नहीं है जो शहर से जुड़ी हो।
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सन्हौली गांव का पूर्ण विकास ना हो पाने के कारण यहां के लोग बेसहारा सा जीवनयापन कर रहे है। आने जाने के साधन मौजूद ना होने के कारण यहां के लोगों नें नदी को पार करने के लिए एक कच्चा पुल तैयार किया है जिस पर चलकर वो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए शहर आते-जाते हैं और रोजमर्रा के कामों को पूरा करने के बाद इसी पुल को पार कर घर वापस लौटते हैं। ये लोग रोज अपनी जिदगी मौत से लड़कर इस पुल को पार करते है। कहने को तो यहां पर सरपंच मुखिया सभी लोग है। ऐसा भी नही है कि यह गांव किसी लोकसभा या विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा नहीं है पर ये सब कहने मात्र के लिए है विकास के क्षेत्र की बात करें, तो मंत्री नेता भी इससे कोसो दूर भाग जाते है। कोई भी राजनेता इस गांव के विकास को बढ़ाने जरूरत महसूस नहीं करता है। बस अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए नेता लोग अपने वोट के लिए नोट को लेकर पहुंच जाते है और अपना काम तमाम कर वापस चले आते है।