हमारे देश और समाज में कुछ घटनाएं इस प्रकार की होती हैं जिनका उत्तर न तो किसी थ्योरी के द्वारा मिलना संभव हो पाता है और न ही किसी वैज्ञानिक सिद्धांत के द्वारा। विश्व में इस प्रकार की कई घटनायें घट चुकी हैं, पर हम यहां आपको बता रहे हैं सिर्फ अपने देश में घटी इस प्रकार की घटनाओं के बारे में जिनका अभी तक कहीं से कोई कारण पता नहीं चल सका है।
1- क्या ‘श्रापित गांव’ है कुलधारा
कुलधारा गांव राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है। यदि अब से 500 साल पहले की बात करें तो यहां पर 1500 परिवार रहा करते थे, पर एक रात वो सब न जानें कहां गायब हो गये। इन लोगों के मारे जाने या अपहरण की बात सामने अभी तक नहीं आई है। इस घटना के पीछे आखिर क्या कारण रहा है किसी को नहीं पता है। कई प्रकार के किस्से-कहानियां इस घटना को लेकर प्रचलित हैं। आज यह गांव सूनसान पड़ा है।
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2- आकाश में क्यों हुआ था धमाका
यह धमाका जोधपुर में आकाश में अचानक हुआ था। उस वक्त ऐसा हुआ जैसे कोई विमान फटा हो। यह धमाका बहुत ही तेज़ था। बाद में घटना की जांच से पता चला कि धमाके के समय आकाश में न तो कोई विमान उड़ रहा था और न ही कोई धमाका किया गया था। यह घटना दुनिया के कई देशों में चर्चा में बनी रही, पर आज तक यह नहीं पता चल सका कि आखिर यह धमाका कैसे और क्यों हुआ था।
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3- किसका था लद्दाख में दिखा यूएफओ
असल में लद्दाख का इलाका बहुत ही दुर्गम है और यही कारण है कि यहां की बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध हो पाती है। लद्दाख के ऐसे ही इलाके में स्थित है “द कोंग्का ला दर्रा”। यहां के स्थानीय लोगों और यात्रियों का मानना है कि यहां पर यूएफओ दिखाई देना सामान्य सी घटना है। पहले इस प्रकार की घटनाओं पर ध्यान नहीं दिया गया, पर 2006 में गूगल के सेटेलाइट से ली गई तस्वीर ने दुनियाभर के लोगों को चौंका दिया था। इस इलाके में होने वाली यूएफओ जैसी घटनाओं पर आज तक कोई उत्तर प्राप्त नहीं हो पाया है।
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4- मौत के बाद सैनिक कैसे कर रहा है सरहद की हिफाजत
भारत-चीन की हिमालय वाली सीमा के पास स्थित है “नाथुला पास” नामक स्थान। 4 अक्टूबर 1968 को हरभजन सिंह नाम का एक सैनिक बर्फ में आई दरार की वजह से नदी में जा गिरा और उसकी बॉडी 3 दिन बाद मृत अवस्था में 2 किलोमीटर दूर मिली। रिपोर्ट्स के मुताबिक हरभजन सिंह नाम का वह सैनिक लोगों के सपने में आया और उस स्थान पर पवित्र स्थल बनाने को कहा। इस घटना के बाद उस स्थान पर हरभजन के नाम पर मेमोरियल हॉल बना दिया गया था। इतना होने बाद भी हरभजन सिंह फ़ौज में अपने स्थान पर बने रहे और उनका प्रमोशन भी समय-समय पर होता रहा। सैनिकों का कहना है कि किसी भी अटैक से तीन दिन पहले हरभजन सिंह हम लोगों को आगाह कर देते हैं। आज भी मीटिंग में उनके लिए एक कुर्सी खाली रखी जाती है।
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5- ताज महल का दूसरा सच
ताज को मुग़ल शासन की अच्छी और बेहद खूबसूरत उपलब्धि के तौर पर देखा जाता है। सन् 2007 में भारत के लेखक और प्रोफ़ेसर पुरुषोत्तम ओक ने ताजमहल के हिंदू मंदिर होने का दावा किया था और अपने पक्ष में कई प्रकार के सुबूत पेश किये थे। पुरुषोत्तम ओक का कहना था कि कभी ताज महल असल में “तेजो महालय” नाम का शिव मंदिर था जिसको बाद में कब्ज़ा लिया गया था। हालांकि बाद में भारत सरकार ने उनके इस दावे को ख़ारिज कर दिया था, पर कई लोगों का विश्वास आज भी प्रो. ओक के सुबूतों पर आज भी है।