साल गुजरे, तारीखें बदली, सत्ता का परिवर्तन हो गया… यहां तक कि 16 दिसंबर 2012 की उस मनहूस रात के लिए देश का कानून भी बदल गया, लेकिन नतीजा सिफर रहा। ना चाहते हुए भी भारतीय इतिहास के पन्नों में शूरवीरों की गाथाओं के साथ 16 दिसंबर 2012 का वो काला पन्ना भी दर्ज हो गया जिसने पूरे समाज को झंकझोर कर रख दिया था। अब आप समझ ही गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हां निर्भया कांड की, जिसकी आज तीसरी बरसी है। इन तीन सालों में बहुत कुछ बदला भी और नहीं भी। सरकारें बदल गईं, कानून बदल गए लेकिन जो कुछ नहीं बदला वो है अन्याय, अत्याचार, अपराध और प्रशासन का ढीला रवैया। जिसके कारण हम तीन सौ साल पहले भी पीड़ित थे, तीन साल पहले भी पीड़ित थे और आज भी पीड़ित हैं। इंसानियत कल भी दम तोड़ रही थी और आज भी दम तोड़ रही है। दामिनी कांड को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप उठती है, लेकिन इस मामले के ताजा हालातों को जान कर आप दंग रह जाएंगे।
दोषी नाबालिग को आर्थिक मदद देना चाहती है केजरीवाल सरकार-
दिल्ली की केजरीवाल सरकार निर्भया गैंगरेप के नाबालिग आरोपी को उस वक्त आर्थिक मदद देना चाहती है जब वो रिहा हो रहा है। वहीं, केंद्र सरकार इसे खतरनाक बताते हुए इसका विरोध कर रही है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी, पुलिस कमिश्नर और केंद्रीय गृह सचिव को समन भेजकर निर्भया गैंगरेप केस में दोषी नाबालिग की रिहाई के मामले में रिपोर्ट पेश नहीं कर पाने को लेकर जवाब तलब किया है। नाबालिग दोषी की रिहाई 20 दिसंबर को होनी है और केंद्र सरकार का कहना है कि उसको रिहा करना एक खतरनाक कदम साबित हो सकता है। अगर दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी रिहाई पर रोक नहीं लगाई तो वह दिल्ली सरकार की ओर से सिलाई मशीन और 10 हजार रुपए की सहायता राशि का हकदार हो जाएगा।
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छलका निर्भया के माता पिता का दर्द, कहा- बेटी को इंसाफ दिलाने में रहे नाकाम-
देश को हिलाकर रख देने वाले निर्भया कांड की तीसरी बरसी पर निर्भया के माता-पिता का भी दर्द छलका। न्याय प्रक्रिया से पूरी तरह व्यथित हो चुके पीड़िता के माता-पिता का कहना है कि ‘हम हार गए हैं। हर दिन बीतने के साथ ही बेटी की यादें और सताती हैं, लेकिन हम उसकी यादों का भी सामना नहीं कर पा रहे क्योंकि हम उसे इंसाफ दिलाने में नाकाम रहे हैं। अब इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। पीड़िता के पिता के मुताबिक तीन साल बीत जाने के बाद भी चार दोषियों को फांसी नहीं हुई है। छह आरोपियों में से कथित तौर पर सबसे ज्यादा क्रूर नाबालिग दोषी किशोर सुधार गृह में अपनी सजा काटने के बाद 20 दिसंबर को रिहा होने वाला है। हालांकि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ज्ञापन देकर घटना के समय में नाबालिग रहे लड़के को रिहा ना करने की मांग की है। उन्होंने पूरी तरह टूटते हुए कहा कि ‘हम बहुत छोटे लोग हैं। हमारी कौन सुनेगा? पिछले तीन साल में हमने इंसाफ की उम्मीद में एक-एक दरवाजे पर दस्तक दी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।’
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निर्भया के पिता ने कहा कि हमारे आंसू अभी तक सूखे नहीं हैं। घर पर कोई न कोई तो हमेशा रोता रहता है। पीड़िता के 50 वर्षीय पिता ने आंसुओं से भरी आंखों के साथ बताया कि हम कभी इस घटना से उबर नहीं पाएंगे और वह हमारे बीच अभी भी जीवित है। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी जब भी कुछ पकाती हैं तो वह अपनी बेटी को याद करती हैं।
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खोखले साबित हुए दिल्ली पुलिस के दावे, नहीं थम रहा बलात्कारों का सिलसिला-
निर्भया कांड एक ऐसा कांड है जिसको भूल पाना शायद नामुमकिन है। बलात्कार के लगातार बढ़ते मामले इस दर्द को हरा कर देते हैं। ऐसे में जो सबसे बड़ा सवाल है, वो यह है कि अमानवीयता की पराकाष्ठा पार कर देने वाली इस घटना के बाद कड़े कानून के लिए लोगों ने रायसीना हिल्स के सीने पर चढ़कर नारे बुलंद किए, लाठियां खाईं, जमा देने वाली सर्दी में जलतोप की बौछारें झेलीं, लेकिन फिर भी दुष्कर्म का सिलसिला आखिर थमा क्यों नहीं?
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दिल्ली पुलिस ने इस घटना के बाद महिलाओं को भरोसा दिलाया था कि अब महिलाएं सुरक्षित रहेंगी। रात को बिना किसी डर के घरों से बाहर निकल सकेंगी, लेकिन आज भी कहीं ना कहीं महिलाएं दिल्ली में घरों से निकलने पर डरती हैं।
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‘कैपिटल’ से ‘रेप कैपिटल ‘ में तब्दील दिल्ली
अभी हाल ही में महिलाओं के साथ-साथ मासूम बच्चियों के साथ भी दरिंदगी के कई मामले सामने आए हैं। कहीं दो साल की बच्ची को हैवानों ने अपनी बुरी नीयत का शिकार बनाया, तो कहीं पांच साल की बच्ची का बचपन रौंदा गया। 11 दिसंबर को ही दिल्ली के नेब सराय में देर शाम 7 साल की मासूम के साथ बलात्कार हुआ। इस मामले में पुलिस ने 16 साल के नाबालिग को गिरफ्तार किया। इसके एक दिन बाद 12 दिसंबर को 6 लोगों ने 14 साल की लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाया। इन घटनाओं से साफ है कि दरिंदों में कानून का बिल्कुल खौफ नहीं है। ऐसी स्थितियों से यह जाहिर होता है कि दिल्ली अब ‘कैपिटल’ से ‘रेप कैपिटल’ में तब्दील हो चुकी है। इस बात के गवाह खुद रेप से संबंधित दिल्ली पुलिस के आंकड़े हैं।
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रेप के मामलों में दिल्ली सबसे आगे-
एनसीआरबी की एक रिपोर्ट की मानें तो बलात्कार के मामलों में दिल्ली अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ऊपर है। आंकड़ों की मानें तो साल 2014 में दिल्ली में 1,813 मामले दर्ज हुए। साल 2013 में 1,441 मामले दर्ज हुए थे।
नाबालिगों से बलात्कार के मामले बढ़े-
अलग-अलग संगठनों द्वारा अलग-अलग स्तर पर किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले बढ़ रहे हैं। सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली में 46 प्रतिशत दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग हैं।
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इस साल 31 अक्टूबर तक 1,856 दुष्कर्म-
राज्यसभा द्वारा 10 दिसंबर, 2015 को दी गई जानकारी के मुताबिक इस साल 31 अक्टूबर तक लगभग 1,856 दुष्कर्म मामले दर्ज किए गए। इनमें 824 मामलों में पीड़ित नाबालिग हैं। इस सप्ताह दिल्ली में हुई दुष्कर्म की घटनाओं में अपराधी भी नाबालिग हैं।
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निरर्थक साबित हो रहा निर्भया फंड-
इस दर्दनाक घटना के तीन साल बाद भी कुछ नहीं बदला। अगर बात करें तो सरकार ने इसी घटना के बाद निर्भया फंड की शुरूआत की थी। रिपोर्ट बताती है कि 1000 करोड़ रुपये के इस फंड से अभी तक एक रुपया भी नहीं खर्च किया गया है।