अपने देश में ऐसे बहुत से किले हैं जिनसे कोई न कोई रहस्य जुड़ा हुआ है। आज हम आपको एक ऐसे ही किले से रूबरू करा रहे हैं जिसको खोलने की सारी कवायदें आज तक असफल रही हैं। आज तक इस किले को आम लोगों के लिए नहीं खोला गया है। बता दें कि देश में लोकतंत्र स्थापित होने के बाद भी इस किले को खोलने के लिए 6 बार कहा जा चुका है पर आज तक यह किला नहीं खुल पाया है। ऐसे में आज भी यह किला आम लोगों के लिए अदृश्य और रहस्यमय बना हुआ है। आइये जानते हैं इस किले के बारे में-
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कहां और कैसा है यह किला –
यह किला पंजाब के अमृतसर में गोविंदगढ़ नामक स्थान पर है। इस किले को “गोविंदगढ़ का किला” या “भंगियन दा किला” भी कहा जाता है। यह किला आज तक लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है क्योंकि पुरातन समय से यह बंद है। हालांकि प्रशासन इसे खोलने का 6 बार भरोसा दे चुका है पर आज तक यह किला नहीं खुल पाया है। 1760 में मिसल के “गुज्जर सिंह भंगी” की सेना ने इस किले का निर्माण किया था। इस किले में लोहे के दो गेट, चार दुर्ग तथा एक परकोटा बना है। महाराजा रंजीत सिंह ने इस किले को 1805 से 1809 के बीच दोबारा बनवाया था। अंग्रेजों ने 1849 से 1850 के बीच इस किले पर कब्ज़ा करके यहां पर अपनी छावनी बना ली थी।
अभी तक क्यों नहीं खुल सका किला –
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अब तक 6 बार इस किले को खोलने के लिए जनता को भरोसा दिया जा चुका है पर अभी भी यह किला आम जनता की नजरों से दूर है। जानकारी के लिए बता दें कि 20 जनवरी 2006 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस किले की चाबी पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंदर सिंह को दे दी थी। इसके बाद 2008 में इसकी चाबी सेना ने डीसी काहन सिंह पन्नू को देकर इसे जनता के हवाले कर दिया था। इसके बाद 2010 में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने इसके संरक्षण के लिए यहां कार्य कराना शुरू कर दिया था, जो अभी तक चल रहा है। अभी तक जनता को यह नहीं बताया गया है कि यह किला कब जनता के लिए खोला जाएगा।
किले का अंग्रेजी इतिहास –
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सन् 1949-50 में अंग्रेजी हुकूमत ने इस किले पर अपना कब्ज़ा कर लिया और यहां पर फांसी घर, दरबार तथा हवा महल बनवाया। जनरल डायर के रहने का स्थान इस किले में फांसी घर के ठीक सामने था। जनरल डायर ने यहां पर हजारों लोगों को फांसी पर लटकाया था। कहा जाता है कि फांसी के समय वह हमेशा इस जगह मौजूद रहता था ताकि फांसी पर चढ़े लोगों को देख कर आनंद ले सके।