राजस्थान को अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहां की शान हैं राजपूतों के महल और हवेलियां। लोग दूर-दूर से इन्हें देखने आते हैं। इसके अलावा आज भी यहां कुछ उजड़ी हुई रियासतों और कुछ गुफाओं के अवशेष बचे हैं। इनमें से कुछ गुफाएं अभी भी काफी सही हालत में हैं। इन्हीं में से एक गुफा है मायरा। इस गुफा को वीर राजपूत महाराणा प्रताप से जोड़ कर देखा जाता है, क्योंकि इस जगह को मुगलों से युद्ध के दौरान महाराणा प्रताप ने अपने निवास स्थान की तरह उपयोग किया था।
जानें इस गुफा में ऐसा क्या ख़ास है, जो महाराणा प्रताप ने इसे छुपने का ठिकाना बनाया –
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इस गुफा में ऐसे तीन रास्ते देखने को मिलते हैं जिससे अंदर जाया जा सकता है। इस वजह से यह किसी भूल-भुलैया जैसी लगती है।
इस गुफा की बनावट ऐसी है जैसे इंसान के शरीर की नसें होती हैं।
इस गुफा को अगर बाहर से देखा जाए तो इसमें अंदर आने का रास्ता नज़र नहीं आता।
इसी वजह से महाराणा प्रताप ने यह तय किया कि वह अपने हथियार इसी जगह पर छुपा कर रखेंगे।
इतना ही नहीं इस गुफा में जानवरों जैसे घोड़े आदि को भी रखने का प्रबंध था।
साथ ही सैनिकों और बाकी योद्धाओं का पेट भरने के लिए रसोई घर भी था।
इस गुफा में महाराणा प्रताप के भरोसेमंद घोड़े चेतक को रखा जाता था। इसलिए आज भी इस जगह को पूजा जाता है।
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मां हिंगलाज का मंदिर भी इसी जगह है।
असल में जिस समय महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की भूमि पर जन्म लिया, उस समय दिल्ली पर अकबर का राज था। अकबर पूरे भारत में अपना साम्राज्य फैलाना चाहता था। इसलिए उसने भारत के सभी राजाओं को अपने अधीन राज करने के लिए विवश कर दिया, लेकिन महाराणा प्रताप ने प्रतिज्ञा ली कि वह मुगलों के आगे शीश नहीं झुकाएंगे। इसलिए उन्होंने कसम खाई कि जब तक वह मेवाड़ को मुग़लों से आज़ादी नहीं दिलवा देते तब तक वह जंगल में ही रहेंगे। इसके बाद प्रताप ने इस गुफा का उपयोग अपने शस्त्रगाह की तरह किया।