भारत में अनेको पर्व और त्योहार यहां की संस्कृति के प्रतीक है और यही वजह है कि वे सब पुरातन काल से चले आ रहें हैं। इन पर्वों में से एक है ” छठ का पर्व”, वैसे तो यह पर्व बिहार और इसके आसपास के क्षेत्रों में ही पुरातन काल से मनाया जाता रहा है पर पिछले कुछ समय में इसकी परिधि काफी विस्तृत हुई है और यही कारण है कि वर्तमान समय में यह भारत के कई प्रान्तों में आज बहुत धूमधाम के साथ में मनाया जाता है। आज के समय में विदेशों में रहने वाले भारतीय भी वहीं पर इसको मनाते हैं, इस पर्व में अन्य धर्म भी अछूते नहीं रहे हैं इसलिए इसे मुस्लिम परिवार भी मनाने लगें हैं, आइये जानते हैं इन मुस्लिम परिवारों के बारे में और इस पर्व में उनकी आस्था के कारणों को।
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बिहार के गोपालगंज जिले के अंतर्गत आने वाले “चनावे गावं” में हसमुद्दीन अंसारी का परिवार रहता है, इनके घर में चार बेटियों ने जन्म लिया पर कोई लड़का नहीं हो पाया, जिसके कारण हसमुद्दीन अंसारी ने “छठी मैया” से एक लड़के की कामना की और ऐसा होने पर छठ का पर्व मानाने का संकल्प लिया। हसमुद्दीन के अगले साल नियत समय पर एक बच्चे ने जन्म लिया जो की लड़का था। अपने संकल्प की वजह से आज भी कई सालों से हसमुद्दीन अंसारी की पत्नी छठ का पर्व मना रहीं हैं और जानकारी के लिए आपको यह भी बता दें कि इस गांव में सिर्फ हसमुद्दीन अंसारी का परिवार ही अकेला परिवार नहीं है जो की इस पर्व को मनाता है बल्कि इस गांव के करीब 20 मुस्लिम परिवार भी छठ के इस पर्व को कई सालों से मनाते आ रहें हैं।
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भारत में बहुत से ऐसे हिंदू भी हैं जो रमजान आने पर रोजा रखते हैं और रमजान के सभी कायदे पूरे करते हैं, इसी प्रकार से कई ऐसे मुस्लिम भी अपने देश में देखे जा सकते हैं जो की मुस्लिम पर्वो के साथ कई हिंदू पर्व भी मनाते हैं और यही इस देश की एक अलग पहचान है जो की विभिन्नता में एकता का सन्देश देती है।