हमारे देश का संविधान दुनिया में सबसे बड़ा माना जाता है जिसमें छोटे से छोटे जुर्म की भी सजा निर्धारित है। संविधान के इतना बड़ा होने के कारण कई नागरिक अपने अधिकार को लेकर अंजान रह जाते है। आजकल कितना भी पढ़ा-लिखा इन्सान न हो उसे संविधान के बारे में काफी कम जानकारी होती है। कहा जाता है कि लोगों को अपने मौलिक अधिकार के बारे में जरुर पता होना चाहिए लेकिन कई लोग इन अधिकारों के बारे में भी नहीं पता होता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि कुछ ऐसी परिस्थितियां भी होती है जिनमें अपनी जान बचाने के लिए हत्या करने को जुर्म नहीं माना जाता है। जिसके बारे में आज हम आपको अवगत कराने वाले है।
• आत्मरक्षा में हत्या करना ( IPC -96)– आईपीसी यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 100 और 103 के तहत नागरिक आत्मरक्षा या फिर किसी की मदद करते दौरान अगर किसी की हत्या होती है तो वो अपराध नहीं माना जाता है। कानून की ये धारा आम आदमी के रक्षा के लिए बनाई गई है। ऐसे में आपको पुलिस का इंतजार करने की बजाया आप खुद आत्मरक्षा या किसी और की मदद कर सकते है।
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• अपने बचाव में हत्या करना (IPC-100)– अगर किसी हमले में आपको आशंका है कि इस में किसी को या आपको गंभीर चोट लग सकती है। तो आप ऐसी परिस्थिति में बचाव के तौर पर किसी की हत्या कर सकते है।
• बलात्कारी की हत्या करना (IPC-100)– अगर कोई महिला बलात्कारी से बचने के लिए हत्या करती है तो वो कानून की नजरों में अपराध नहीं माना जाता है।
• अपहरण के बचाव में हत्या हो जाना- अगर कोई अपहरण की नियत से आप पर अटैक करता है और उस दौरान अगर उसकी हत्या हो जाती है तो वो अपराध की श्रेणी में शामिल नहीं होती है।
• तेजाब फेंकने वाले की हत्या करना- आजकल हमारे समाज में कई तेजाब फेंकने की घटनाएं हो रही है लेकिन अगर कोई तेजाब फेंकने या पीलाने की नियत से हमला करे। इसी के साथ अगर उसकी हत्या हो जाती है तो वो अपराध नहीं माना जाता है।
• जायदाद की रक्षा करने में मृत्यु- अगर कोई व्यक्ति अपनी या किसी दूसरे की जायदाद की रक्षा में किसी अपराधी की मृत्यु करता है तो इस काम को अपराध की श्रेणी में नहीं माना जाता है।