ताजमहल को कौन नहीं जानता, आज के समय में ताजमहल अपने आप में एक मात्र ऐसी ईमारत है जिसकी वजह से भारत की वास्तु कला का लोहा आज सारा विश्व मानता है पर क्या आप जानते हैं कि यदि शाहजहां जिंदा होते तो हमारे यहां एक नहीं बल्कि दो ताजमहल होते, जी हां, यह सच है ताजमहल वर्तमान में भले ही एक हो, पर यदि शाहजहां का सपना पूरा हो पाता तो आज हमारे पास एक नहीं बल्कि दो ताजमहल होते और इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि यह दूसरा ताजमहल पहले के जैसा सफेद नहीं होता बल्कि ‘काला ताजमहल” होता पर यह दूसरा ताजमहल बन नहीं पाया इसके पीछे उस समय की कई परिस्तिथियां थी, इस बारे में इतिहासकारों का कहना है कि “शाहजहां चाहते थे कि उनको मुमताज के बराबर में दफन किया जाएं, असल में उस समय वे कुछ बड़ा करने की सोच रहें थे, जिसके सामने दुनिया की सारी इमारतें फीकी पड़ सकती थी”
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क्या चाहते थे शाहजहां –
इतिहासकार कहते हैं कि शाहजहां चाहते थे कि उनके द्वारा निर्मित ताजमहल की एक और प्रतिकृति बनाई जाएं, जो की ताजमहल के विपरीत रंग की हो यानि वह काला ताजमहल बनवाना चाहते थे उन्हीं लोगों के द्वारा जिन्होंने सफेद ताजमहल को निर्मित किया था। यह काला ताजमहल शाहजहां अपने लिए बनवाना चाहते थे लेकिन जानकारी के लिए हम आपको यह बता दें कि यह काला ताजमहल शाहजहां के बेटे “औरंगजेब” की वजह से नहीं बन पाया। असल में शाहजहां के तीन बेटे थे दारा शिकोह, शाह शुजा और औरंगज़ेब।
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औरंगजेब इन तीन बेटों में सबसे ज्यादा हिंसक था, उसने सत्ता और गद्दी के लालच में अपने पिता शाहजहां को भी कालकोठरी में डाल दिया था। इस वजह से ही शाहजहां द्वारा उस समय शुरू किए गए सभी निर्माण कार्य बंद हो गए थे। कई इतिहासकार यह कहते हैं कि यमुना के तट के दूसरी ओर जो काले मार्वल पढ़ें हैं वे शाहजहां के इस दूसरे निर्माण होने वाले काले ताजमहल के हैं जो अधूरा रह गया था पर इस बात में कितनी सच्चाई है यह कोई नहीं जानता है।