अपने बच्चों का पेट पालने के लिए मां क्या कुछ नहीं कर जाती, लेकिन ऐसी ही एक कहानी सामने आई है, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। दरअसल गुजरात के अहमदाबाद में एक निर्माण स्थल में मात्र 250 रुपए की दिहाड़ी में काम करने वाली सरता कलारा काम पर जाते समय अपनी पंद्रह महीने की बच्ची के पैर में प्लास्टिक टेप बांधकर उसे पत्थर से बांध देती हैं। ऐसा सरता उसे किसी बदमाशी के लिए, सजा देने के लिए या फिर नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि उसकी देखभाल के लिए किया करती है। उन्होंने बताया कि वह अपने पति के साथ बच्चों का पेट पालने के लिए एक निर्माण स्थल में काम करती हैं, जिस कारण उन्हें अपनी बच्ची को इस तरह पत्थर से बांधकर काम करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि उनका बड़ा बेटा अभी साढ़े तीन वर्ष का है, वह भी शिवानी की ढंग से देखरेख नहीं कर सकता, जिस कारण हमें शिवानी को पत्थर से बांधकर जाना पड़ता है। क्योंकि वह जहां वह काम करती है वहां पर सड़को पर अक्सर गाड़ियां आती जाती रहती है ।
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मात्र पंद्रह महीने की बच्ची इस चिलचिलाती धूप में 9 घंटे रहती है। आप अंदाजा लगा सकते है कि पंद्रह महीने की बच्ची कितनी छोटी होती है, पूरे दिन धूप में घुटनों के बल रहकर वह अपना दिन गुजार देती है। सरता ने बताया कि उनके पास ऐसा करने के अलावा और कोई चारा नहीं है, क्योंकि कंस्ट्रक्शन साइट पर बच्ची को ले जाना भी खतरे से खाली नहीं है।
सेव द चिल्ड्रेन नाम के एनजीओ के प्रमुख प्रभात झा के अनुसार चाइल्ड केयर सेंटर काफी मुश्किलों से ही मिलते हैं, जहां बने भी हैं, वह मजदूरों से पैसे की मांग करते हैं। सरकार या फिर कंस्ट्रक्शन कंपनियों को मजदूरों को चाइल्ड केयर सेंटर की सुविधाएं देनी चाहिए, ताकि बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल हो पाए।
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आंकड़ों की माने तो कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काम करने वाले करीब चार करोड़ मजदूर में से हर पांचवी मजदूर एक महिला है। जिनमें से कई के पास तो सिर छुपाने के लिए छत भी नहीं होती। वह बिल्डरों द्वारा दिए गए टेंटों में रहते हैं। ऐसे में आप खुद ही समझ सकते हैं हम जहां रह रहे हैं उन घरों को बनाने के लिए किस तरह मजदूर अपनी जिंदगी और अपने बच्चों की जिंदगी को दांव पर लगाते है ऐसे में सरकार और बिल्डरो को मजदूरो को तरफ ध्यान देना चाहिए ताकि वो एक अच्छी जिंदगी जी सके ।