मौलाना ‘चतुर्वेदी’ – कुरआन की आयतों और वेद की ऋचाओं से मानवीयता को पढ़ाने वाले व्यक्ति

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मौलाना शब्द वैसे तो एक इस्लामी शब्द है जिसका मतलब एक धर्म गुरु माना जाता है पर आज हम आपको एक ऐसे मौलाना के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं जो कि न सिर्फ इस्लामी दीन का माहिर है बल्कि सनातन हिन्दू धर्म में भी गहरी जानकारी रखते हैं। यह अपने पास पढ़ने आने वाले छात्रों को न सिर्फ कुरआन की आयतों को पढ़ाते हैं बल्कि वेद की ऋचाओं का हवाला देकर उनको हिन्दू धर्म की वही बाते बताते हैं जो कि इस्लाम की मान्यताओं से मेल खाती है। इस प्रकार से मौलाना ‘चतुर्वेदी’ नामक यह मौलाना हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही लोगों को वैचारिक तौर पर करीब लाने का कार्य लंबे अरसे से कर रहे हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में कुछ अहम जानकारी को।

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इनका असल नाम है “मौलाना महफ़ूज़ उर रहमान शाहीन जमाली” है , जो कि उत्तर प्रदेश के “दारुल उलूम देवबंद” से पढ़े हुए हैं। ये मेरठ में रहते हैं और वर्तमान में ज्यादातर लोग इनको “मौलाना चतुर्वेदी” के उपनाम से ही जानते हैं। मौलाना चतुर्वेदी के नाम से लोगों द्वारा पुकारे जाने के पीछे यह बात है कि जब मौलाना साहब “दारुल उलूम” से अपनी शिक्षा को पूरी कर चुके थे तो उनके मन में संस्कृत को सीखने की इच्छा ने एकाएक जन्म लिया और इसी के चलते ही मौलाना ने संस्कृत को सीख और हिन्दू घर्म ग्रंथों को भी पढ़ना शुरू किया। हिन्दू धर्म ग्रंथो में मौलाना की रूचि दिन व दिन बढ़ती चली गई जिसके चलते मौलाना ने वेद और उपनिषद आदि का भी अध्ययन किया। तभी से लोग उनको मौलाना चतुर्वेदी के नाम से पुकारने लगें। मौलाना चतुर्वेदी कहते है कि “लोग यह सोचते हैं कि अगर ये मौलाना हैं तो फिर चतुर्वेदी कैसे हैं? मैं उनसे कहता हूं कि मौलाना अगर चतुर्वेदी भी हो जाए, तो उसकी शान घटती नहीं और बढ़ जाती है।”
मौलाना ने वेद के अध्ययन के बाद में अपने में काफी कुछ बदलाव महसूस किये उसके बारे में मौलाना कहते हैं कि “वेद पढ़ने के बाद मैंने महसूस किया कि मेरा जीवन एक खाने में सिमट कर नहीं रह गया है, बल्कि मेरा दायरा और भी बड़ा हो गया है।”

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वर्तमान शिक्षा के बारे में मौलाना साहब का कहना है कि “इस शिक्षा का हमारे अपने बच्चों पर यह असर पड़ता है कि वो जिस समाज में जाएंगे, वहां उनका वास्ता अपने दूसरे धार्मिक भाइयों से होगा और जो कुछ उन्होंने यहां सीखा है, उसे अपने जीवन में अपनाएंगे। इस तरह के मेल मिलाप से आपस की एकता मजबूत होगी।”

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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