हमारे पहले भाग में आपने शरथ बाबू की स्कूली शिक्षा के दौर की परेशानियों को पढ़ा अब पढ़िए इससे आगे की रोमांचक घटनाओं को इस भाग में। शरथ बाबू बचपन से ही दिल लगा कर पढ़ते थे और इस कारण ही उनके हमेशा अच्छे नंबर आते थे। दसवीं तक उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा था पर अब जैसे ही 11वीं में एडमिशन लेने का समय आया तो शरथ और उनके घर वालो की परेशानी बढ़ गई, क्योंकि 10वीं तक उनको स्पेशल फीस नहीं देनी होती थी पर अब फीस देनी ही होगी और इसके लिए घर में पर्याप्त पैसे नहीं थे, साथ ही अब फीस पहले से ज्यादा भी हो चुकी थी पर जैसा की आपने सुना ही होगा “जहां चाह, वहां राह”, शरथ ने अपनी इस आर्थिक परेशानी को हल करने के लिए नया तरीका खोज लिया, उन्होंने अपनी गर्मियों की छुट्टियों में बुक बाइंडिंग का काम शुरू कर दिया और उनका काम इतना बेहतर था कि उनको बहुत ज्यादा ऑर्डर आने लगे। इसके बाद में काम इतना बढ़ गया कि शरथ को काम पूरा करने के लिए अन्य बच्चों को भी इस काम में लगाना पड़ा। इस काम से इतना पैसा इकट्ठा हो ही गया था कि शरथ की फीस भरी जा सकें। इस पैसे से ही 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी हुई।
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मिला बिट्स, पिलानी में दाखिला –
12वीं पास करने के बाद में शरथ को आगे की पढ़ाई के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था और घर में कोई ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था इसलिए आगे का मार्गदर्शन कोई कर नहीं सकता था। शरथ आगे की पढ़ाई के लिए परेशान थे इस दौरान उनकी मुलाक़ात एक दोस्त से हुई और उसने शरथ को बताया कि वह बिट्स,पिलानी के एग्जाम की तैयारी करें, यदि वहां एडमिशन हो जाता है तो उनको अच्छी नौकरी मिल जाएगी। जिससे घर की सारी गरीबी भी दूर हो जाएगी। इसके बाद में शरथ बाबू ने बिट्स पिलानी के एग्जाम की तैयारी जोरों से शुरू कर दी और उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि उनको बिट्स पिलानी में एडमिशन मिल गया। अब एक गरीब घर का लड़का देश के सबसे मशहूर संस्थानों में से एक में पढ़ने के लिए जा रहा था।
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जब सामान बेचकर भरी फीस –
बिट्स पिलानी तो शरथ बाबू पहुंच गए पर वहां की फीस ने उनको चकित कर दिया, शरथ को पहले की सेमेस्टर की फीस में 42000 हजार रूपए की जरुरत थी और साथ देने वाला कोई नहीं था। घर वालो के लिए भी इतना पैसा भेजना संभव नहीं था। इस समय शरथ बाबू की बहन ने उनकी मदद की। उनकी बहन की शादी हो चुकी थी और उसने अपने गहनों को गिरवी रख कर पैसे का इंतजाम कर दिया। इस प्रकार से शरथ बाबू के पहले सेमेस्टर की फीस भर दी गई।
पहला सेमेस्टर पूरा होने के पहले ही शरथ की मां ने उनको एक स्कॉलरशिप के बारे में बताया जिसको जानकर शरथ ने एप्लाई कर दिया और सही समय पर उनको स्कॉलरशिप मिल भी गई। सबसे पहले शरथ ने अपनी बहन के गहने छुड़ाए और उसके बाद में अपनी फीस भरी।
बिट्स पिलानी में ज्यादातर बच्चे अमीर या माध्यम परिवार के थे और उनके खर्च भी वैसे ही थे, शर्त बाबू उनकी तरह न तो खर्च कर सकते थे और न ही वैसा जीवन जी सकते थे तो शरथ बाबू ने अपना मन हमेशा पढ़ाई पर लगाए रखा और काफी कुछ वहां से सीखा। बिट्स पिलानी से डिग्री लेने के बाद में शरथ को अपने ही शहर चेन्नई की पोलारिस सॉफ्टवेयर लैब्स में नौकरी मिल गई पर उनके कुछ साथियों ने कहा कि उनको आईआईएम का एग्जाम देना चाहिए ताकि वे मैनेजमेंट में भी परफेक्ट बन सकें।
इसके बाद में शरथ बाबू ने आईआईएम का एग्जाम दिया पर क्या शरथ आईआईएम जा सकें या नहीं ? क्या उनकी पढ़ाई वहीं रूक गई ये हम जानेंगे इस कहानी के तीसरे भाग में। अपने विचार हमें आप कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं ताकि हम आपके अनुसार अपने लेखों में सुधार कर सकें।