हमारे देश में बहुत से ऐसे स्थान हैं जो किसी न किसी अनोखे नाम से जाने जाते हैं। वास्तव में इन स्थानों का असल नाम कुछ और होता हैं मगर अपनी किसी खासियत के चलते इनकी पहचान अलग नाम से होती हैं। आज आपको यहां जिस स्थान के बारे में बताने जा रहें हैं वह भी ऐसा ही स्थान हैं। इस जगह का वास्तविक नाम ‘शिवकाशी” हैं पर लोग इसको मिनी जापान या पटाखा सिटी के नाम से ज्यादा जानते हैं। आइये आपको अब विस्तार से इस बारे में जानकारी देते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हैं।
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देखा जाए तो पटाखों के प्रदर्शन का श्रेय ज्यादातर चीन को ही दिया जाता हैं पर हम आपको बता दें कि अपने ही देश में एक ऐसा स्थान हैं जो पटाखा सिटी के नाम से जाना जाता हैं। इस स्थान का नाम “शिवकाशी” हैं। यह स्थान चेन्नई से लगभग 500 किमी की दूरी पर हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस शहर में लगभग 400 फैक्ट्रियां हैं जहां वर्ष के 300 दिन लगातार पटाखे निर्मित करने का कार्य चलता हैं। देश में ज्यादातर पटाखे इसी स्थान से जाते हैं। यही कारण हैं इस स्थान को पटाखा सिटी कहा जाता हैं।
इस प्रकार से हुई थी शुरुआत –
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इस स्थान को पटाखा सिटी का नाम दिलाने का कार्य अय्यर नादर और उनके भाई शनमुगा नादर ने किया था। असल में ये दोनों भाई 1922 में माचिस बनाने का कार्य सीखने के लिए कोलकाता गए थे पर वहां से आकर इन दोनों ने पटाखे की फैक्ट्री लगाईं। इन दोनों ने अन्य लोगों को भी यह कार्य सिखाया। अब आलम यह हैं कि लोग हर गली में पटाखे की दुकान खोल कर बैठे हैं।
इसलिए कहा जाता हैं मिनी जापान –
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इस स्थान को मिनी जापान के नाम से भी जाना जाता हैं। दरअसल देश के पहले पी.एम जवाहर लाल नेहरू ने शिवकाशी को यह नाम दिया था। बता दें कि जापान में भी बहुत बड़े पैमाने पर पटाखा बनाने का कार्य किया जाता हैं। जापान के एल्प्स फायरवर्क्स ने ही दुनिया का सबसे बड़ा पटाखा बनाया था जोकि आकाश में जाकर फटता था।
