जानें बुंदेलखंड में पिता ने क्यों किया बेटी को भूसा गिफ्ट

-

बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। इस जगह का इतिहास काफी पुराना और समृद्ध रहा है। इस जगह पर कई शासकों के वंशजों ने शासन किया। यहां मौर्य, गुप्त, कलचरी, चंदेल, बुन्देल, मराठा तथा अंग्रेजी शासन काल के साक्ष्य मिलते हैं। इतनी समृद्ध विरासत होने के बावजूद भी आज बुंदेलखंड को गरीबी का सामना करना पड़ रहा है। एक समय था जब यह प्रदेश अपने वैभव के लिए जाना जाता था, लेकिन आज यहां के आम लोगों को खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब होती है।

बुंदेलखंड में पिछले 4 सालों से बारिश नहीं हुई है। इस वजह से पिछले 4 सालों से यहां दूर-दूर तक सूखा फैला है। ना इंसानों के लिए खाने-पीने का कोई साधन जुट पा रहा है और ना ही मवेशियों के लिए। अभी मकर संक्रांति के समय बुंदेलखंड के महोबा जिले के गांव सिलोटा में एक ऐसा वाकया देखने को मिला, जिसके बारे में सुनकर आप शायद हैरान हो जाएंगे।

cover-pageImage Source: http://static1.squarespace.com/

यहां मकर संक्रांति के दिन बेटी के घर मिठाई या फूल लेकर जाने की परंपरा है, लेकिन इस दिन परीक्षित प्रजापति ने अपनी बेटी सुमन के घर जाकर उसे मिठाई नहीं बल्कि भूसा भेंट किया है। सुमन के परिवार में रोजगार का जरिया पशुपालन और खेती है, लेकिन सूखे के कारण पूरी खेती चौपट पड़ी है। क्षेत्र में पानी की कमी के कारण बीज बेकार ना हो, इसलिए बुवाई भी नहीं की गई। इस वजह से जानवरों के लिए भूसा भी नहीं जमा हो पाया।

सुमन के घर एक ही भैंस है जिसके दूध से बच्चों का पेट भरता है, लेकिन उसे खिलाने के लिए सुमन और उसका पति भूसा खरीदने का इंतज़ाम नहीं कर पा रहे थे। इसलिए परीक्षित ने एक बैलगाड़ी में भूसा भरकर अपनी बेटी के घर पहुंचा दिया। इस भूसे से भरी बैलगाड़ी को आता देख सुमन और उसके पति के चेहरे पर जो मुस्कान थी, वह देखते ही बनती थी।

image3Image Source: http://www.insighttvnews.com/

सुमन के तीन बच्चे हैं। एक बार के लिए बड़े तो भूखे भी सो सकते हैं, लेकिन बच्चों को पेट भरने के लिए दूध की जरूरत होती है। इसलिए पिता ने अपनी बेटी के बच्चों का पेट भरने के लिए उसे मिठाई या फूल की जगह भूसा भेंट करना ही जरूरी समझा।

सूखे और आर्थिक तंगी के चलते सुमन के पति ने अपना व्यवसाय बदल कर कर्जे में एक ऑटो खरीदा है। इसी ऑटो की कमाई से वह अपने परिवार का पेट भर रहा है।

ऐसे में गंभीरता से सोचा जाए तो बुलेट ट्रेन का सपना देखने वाले भारत में अगर आम लोगों को दो वक़्त की रोटी भी मुश्किल से नसीब हो रही हो, तो हमें भविष्य से पहले अपने वर्तमान की चिंता करनी चाहिए।

image2Image Source: http://www.hindi.indiasamvad.co.in/

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments