अनोखी नदी – जो हमेशा बहती है उल्टी, जानें इसके पीछे की प्रेम कहानी

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अपने देश में बहुत सी चीजें हैं जिनके बारे में जानकार आश्चर्य होता है, आज हम आपको देश की एक ऐसी ही नदी के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं, इस नदी की खासियत यह है कि यह भारत की सभी नदियों से उल्टी दिशा में बहती है और इससे भी रोचक बात है इसके पीछे की प्रेम कहानी। आइए जानते हैं इस नदी और इसके पीछे की प्रेम कहानी के बारे में।

सबसे पहले आपको यह बता दें कि इस नदी का नाम “नर्मदा” है जो की भारत की प्रमुख नदियों में गिनी जाती है, पर यह हमेशा भारत की अन्य नदियों से उल्टी दिशा में बहती है इस बारे में एक पौराणिक कथा है जिसका वर्णन हम यहां कर रहें हैं।

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यह कथा प्राचीन समय की है, कथा में राजकुमारी नर्मदा तत्कालीन राजा मेखल की पुत्री थी, राजा मेखल ने अपनी लड़की नर्मदा की शादी के लिए यह शर्त रखी की जो भी व्यक्ति “गुलबकावली” के फूल ले आएगा, उससे ही वह अपनी लड़की नर्मदा का विवाह करेंगे, इस शर्त को राजकुमार सोनभद्र ने पूरा किया जिसके बाद में नर्मदा का विवाह उनसे तय हो गया, पर अभी तक नर्मदा ने सोनभद्र को देखा नही था, लेकिन उनकी वीरता और सौन्दर्य के किस्से सुनकर नर्मदा सोनभद्र से प्रेम करने लगी थी। एक दिन नर्मदा ने अपनी दासी जुहिला के हाथ प्रेमपत्र भिजवाया। जुहिला ने राजकुमारी के कपडे़ इस कार्य को करने के बदले मांगे और राजकुमारी के कपडे़ पहन कर जुहिला राजकुमार सोनभद्र के पास चली गई। सोनभद्र ने धोखे में जुहिला को ही राजकुमारी मान लिया और जुहिला के मन में भी राजकुमार को देख कर खोट आ गई, जिसके कारण उसने अपने असल स्वरुप के बारे में नहीं बताया। जब काफी देर तक जुहिला नहीं आई तो राजकुमारी नर्मदा खुद राजकुमार सोनभद्र के कक्ष तक चली गई और उसने जुहिला तथा सोनभद्र को साथ में देखा तो वह गुस्से की ज्वाला में कभी वापस न आने के लिए पलट गई , सोनभद्र को जब वास्तविकता का पता लगा तो वह पछताता रहा पर नर्मदा कभी पलटकर वापस नहीं आई।

वर्तमान काल में नर्मदा की भौगोलिक स्थिति आप देख सकते हैं वह हमेशा उल्टी ही बहती है, गंगा सहित अन्य भारतीय नदियां जहां बंगाल सागर में गिरती है वहीं नर्मदा ने बंगाल का रास्ता छोड़ कर उल्टा रास्ता पकड़ा है और वह “अरब सागर” से जाकर विलीन होती हैं, इस प्रकार की यह कहानी इलाहबाद सहित अन्य कई स्थानों पर प्रचलित है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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