जैसा कि आप जानते ही हैं कि पुराने समय में राजा महाराजा सोने व चांदी के बर्तनों में खाना खाते थे। कहते थे कि इससे भोजन की पौष्टिकता दोगुनी हो जाती थी। इसका लॉजिक का तो चलो समझ आता है, लेकिन भला शेविंग में सोने चांदी का इस्तेमाल करने से क्या फायदा मिलता है। आज हम बात कर रहें है एक ऐसे हेयर ड्रेसिंग सैलून कि जहां पर शेविंग के लिए सोने के उस्तरे का प्रयोग किया जाता है। ये सैलून देश पश्चिमी महाराष्ट्र के सांगली शहर में मौजूद है। इसका नाम उस्तरा मेन्स स्टूडियो है। इस हेयर स्टूडियो में शेव करवाले के लिए लोग अपना नाम वेटिंग लिस्ट में लिखवाते है। चलिए जानते है इस खास हेयर ड्रेसिंग सैलून के बारे में।
इस सैलून में जिस उस्तरे का इस्तेमाल किया जाता है वह 10 तोले सोने से बना है। इसकी वजह जानने के लिए जब सैलून के मालिक रामचंद्र दत्तात्रेय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ग्राहकों को आकर्षित करने का यह उनका एक अनोखा एक्सपेरिमेंट था जो पूरी तरह से सफर रहा। उन्होंने बताया कि उनका यह उस्तरा 18 कैरेट सोने से बना है। इस पूणे के एक कारीगर 20 दिनों में तैयार किया था। इसकी कीमत साढे तीन लाख रुपये है।
उस्तरे ने किया फेमस –
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रामचंद्र के मुताबिक उनका हेयर ड्रेसिंग सैलून पर पहले भी काफी काम मगर जब उन्होंने यह एक्सपेरिमेंट किया तो उनका सैलून बहुत ज्यादा फेमस हो गया और लोग की भारी भीड़ उनके सैलून में शेव के लिए आने लग गई। ऐसा करने की वजह बताते हुए रामचंद्र कहते हैं कि वह शुरु से कुछ अलग करना चाहते थे और अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते थे, बस इसी चाह ने उनको यह आइडिया दिया।
एक्सपेरिमेंट के बाद सेल हुई 5 गुणा –
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इस प्रयोग के बाद रामचंद्र की सेल तो मानो एक दम से आसमान छुने लगी। जहां लोग पहले एक शेव के लिए 40 रुपये देते थे अब उसी शेव के लिए 200 देते है, यानि 5 गुणा अधिक कीमत। बहरहाल अपनी लोकप्रियता और अनोखे उस्तरे के चलते रामचंद्र के सैलून के बाहर लंबी लंबी लाइने लगती है। लोग वेटिंग लिस्ट में अपना नाम लिखवाकर बढ़ी बेसबरी से अपनी बारी का इंतजार करते है। इस समय रामचंद्र की मासिक कमाई 1.5 से 2 लाख रुपये हो गई है।