पहाड़ को अकेले तोड़ कर सड़क बना डाली इस फौजी ने, जानिये इस खबर को

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बच्चों की पढ़ाई तथा ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए आर्मी के इस व्यक्ति ने कुछ ऐसा किया। जिसके बारे में आप सपने में भी नहीं सोच सकते। आज हम आपको एक ऐसे भारतीय सैनिक के बारे में बता रहें हैं। जिसके कार्य के बारे में जानने के बाद लोग न सिर्फ इस व्यक्ति पर बल्कि भारतीय सेना पर गर्व करेंगे। इस व्यक्ति का नाम “बृजेश विष्ट” है। बृजेश उत्तराखंड के चंपावत जिले के अंतर्गत आने वाले पुष्पनगर के निवासी हैं। इसके अलावा वे भारतीय सेना में भी एक सैनिक की नौकरी करते हैं।

घटना आज से 3 वर्ष पहले उस समय की है जब बृजेश के मन में गांव तथा मुख्य सड़क के बीच आने वाले पहाड़ को तोड़ने का ख्याल आया था। असल में बृजेश के गांव के लोगों को मुख्य सड़क तक जाने के लिए पहाड़ से होकर गुजरना पड़ता था। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को इस कार्य में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक और पहाड़ के ऊंचे नीचे रास्ते होते थे तो दूसरी और जंगली जानवरों का भय। इन सब समस्याओं को बृजेश भी बचपन से अनुभव करते आ रहें थे।

तीन वर्ष पहले शुरू किया था कार्य

पहाड़Image Source:

करीब तीन वर्ष पहले उन्होंने इस पहाड़ को तोड़कर सड़क बनाने का संकल्प ले लिया था। उस समय बृजेश भारतीय सेना की 3 कुमाऊ रेजीमेंट में पिथौरागढ़ पर तैनात थे। जब भी उनको सेना से छुट्टी मिलती वे हथोड़ा, छैनी और कुदाल उठाकर पहाड़ की ओर अकेले ही निकल पड़ते। 39 वर्ष के बृजेश विष्ट ने इस कार्य के लिए कभी न तो मजदूर रखें और न ही कभी किसी गांव वाले की कोई सहायता ली। बृजेश अपने कार्य में निरंतर लगें रहें और पहाड़ को काटते रहें। यह कार्य उन्होंने 2014 में प्रारंभ हुआ था। इस बीच कई गांव वालों ने इस कार्य के लिए राजनीतिक तथा प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान भी खींचा पर इसका नतीजा कुछ नहीं निकला।

अंत बृजेश ने अपने दम पर ही पहाड़ को काट डाला और 2 किमी लंबी सड़क का निर्माण कर डाला। यह सड़क अभी कच्ची ही है, पर इसके बावजूद गांव के लोग तथा बच्चों के लिए अब बहुत आसानी हो गई है। लोग आसानी से पैदल चल कर मुख्य सड़क तक कम समय में पहुंच जाते हैं। इस प्रकार से भारतीय सेना के सैनिक बृजेश विष्ट ने अपने कार्य से समाज का बहुत उपकार किया है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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