आपने बहुत से शिवालयों में दर्शन किये होंगे, पर आज जिस शिवालय के बारे में यहां जानकारी दी जा रही है वह अपने आप में इतना अद्भुद है कि इसके बारे में जानकर आप दंग रह जायेंगे। आपको सबसे पहले बता दें कि यह शिवालय उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्थित है। हरदोई जिला अपने आप में पौराणिक समय का प्राचीन जिला है। इस जिले का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। यही कारण है कि इस जिले को लोग पवित्र स्थान का भी दर्जा देते हैं। हरदोई जिले से करीब 30 किमी की दूरी पर एक मंदिर स्थित है।
इस मंदिर को सकहा शंकर मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर प्राचीन मंदिर है तथा भगवान शिव को समर्पित है। पौराणिक कथाओं में इस स्थान का नाम सोनिकपुर बताया गया था। कहा गया है कि इस स्थान पर शंकासुर नामक एक दैत्य का प्रभुत्व था। उस समय हरदोई जिले का शासक हिरण्यकशिपु था जोकि भक्त प्रह्लाद का पिता था। शंकासुर हिरण्यकशिपु का ही एक सहायक था।
भक्त प्रह्लाद से जुड़ी है कथा
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भक्त प्रह्लाद का नाम पौराणिक शास्त्रों में कई बार आता है। वह भगवान विष्णु का उपासक तथा भक्त था। दूसरी और उसका पिता हिरण्यकशिपु खुद को भगवान बताता था और अपनी प्रजा को कष्ट देता था। हिरण्यकशिपु बहुत हिंसक था। प्रह्लाद ने भगवान विष्णु का कठोर तप किया तथा उनके दर्शन पाएं। हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मृत्यु दंड दे दिया जिसके बाद में भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार धारण कर हिरण्यकशिपु को मार डाला। बताया जाता है कि हिरण्यकशिपु के मरने के बाद शंकासुर भी अपना स्थान छोड़ कर भाग निकला था। शंकासुर के इसी स्थान पर स्थित है यह सकहा शंकर मंदिर। माना जाता है कि यह प्राचीनतम मंदिर है। इसका कायाकल्प भी काफी समय पहले हुआ था।
शिवलिंग बन जाता है पिरामिड़
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सकहा शंकर मंदिर बहुत खास है। इस शिवलिंग को ध्यान से देखने पर इसकी आकृति किसी पिरामिड़ के जैसी दिखाई देने लगती है। देखने वाला भी एक बार चमत्कृत हो उठता है। इस शिवलिंग को देखने के लिए बहुत से लोग इस मंदिर में आते हैं। सकहा शंकर मंदिर जिला हरदोई में सकहा क्षेत्र में है। हरदोई में भगवान विष्णु ने 2 बार अवतार ले लोगों को उद्धार किया था। एक अवतार राजा बलि के समय में वामन तथा दूसरी बार नरसिंह अवतार धारण किया था। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले को हिंदू लोग आस्था की द्रष्टि से देखते हैं।