भरतकूप- इस कुएं में स्नान करने से लोग होते हैं रोगों से मुक्त, जानिये इस अनोखे कुएं के बारे में

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वैसे तो कई ऐसे स्थान हैं जहां जानें पर बीमारियों के खत्म होने का दावा किया जाता है, पर आज हम उत्तर प्रदेश के जिस कुएं के बारे में आपको बता रहें हैं। उसके बारे में जानकर आप हैरान रह जायेंगे। आपकों बता दें कि यह बहुत प्राचीन कुआं है और इससे कई प्रकार की लोक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। इस कुएं के जल को लेने के लिए उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं।

जिला बांदा और चित्रकूट के मध्य है यह कुआं –

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यदि आप इस कुएं को देखना चाहते हैं तो आपको उत्तर प्रदेश के जिले बांदा पहुंचना होगा। यह अनोखा कुआं जिला बांदा से चित्रकूट की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। जब आप इस कुएं के पास पहुचंगे तो आप खुद ही हैरान रह जायेंगे। आप विचार करेंगे कि एक छोटे से गांव में आखिर लोगों की इतनी बड़ी भीड़ क्यों और कैसे है। आपको बता दें कि जिस गांव में यह अद्भुद कुआं स्थित है उसको “भरतकूप गांव” के नाम से जाना जाता है। वैसे तो यह छोटा सा गांव है पर यहां हर समय लोगों की भीड़ लगी रहती है ताकि वे इस कुएं के जल से स्नान कर सकें।

प्रभू श्रीराम से है इस कुएं का संबंध –

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इस कुएं के इतिहास की बात करें तो यह भगवान श्रीराम के समय का कुंआ है। भरतकूप गांव के निवासी राम दुलारे लाल ने इस कुएं के बारे में बताया कि “जब भगवान श्रीराम चित्रकूट में थे तो उनके बड़े भाई भरत अपने कई लोगों के साथ उनको वापिस लेने के लिए यहां आये थे। वह अपने साथ श्रीराम के राजयभिषेक के लिए सभी सामान तथा समस्त पवित्र नदियों का जल लाये थे।

जब प्रभू श्रीराम वापिस जाने के लिए राजी नहीं हुए तो भरत उनकी चरण पादुकाएं लेकर वापिस अयोध्या चले गए और अपने साथ लाये जल व सामग्री को इस भरतकूप कुएं में प्रवाहित कर गए। इस प्रकार उस समय से ही यह कुआं समस्त तीर्थों का पुण्य देने वाला तथा समस्त रोगों से छुटकारा देने वाला बन गया था। आज भी लोग यहां स्नान कर इससे लाभ लेते हैं।”

कुएं के अंदर हैं प्राचीन प्रतिमाएं –

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इस कुएं के लाभ को देखते हुए बुंदेली शासकों ने अपने समय में यहां एक मंदिर का निर्माण भी किया। अब इस कुएं पर स्नान करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं और लाभ लेते हैं। इस कुएं का वर्णन रामचरित मानस में भी हुआ है। वैसे तो हर समय यहां लोग आते ही रहते हैं पर मकर संक्रांति के अवसर पर यहां काफी ज्यादा भीड़ होती है। उस समय यहां पर 5 दिन तक लगातर मेला भी लगाया जाता है। इस कुएं के अंदर श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, देवी सीता तथा शत्रुधन की प्राचीन प्रतिमाएं स्थित है। इस प्रकार ऐतिहासिक दृष्टि से यह कुआं बहुत महत्वपूर्ण है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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