आज हम आपको दो ऐसे बच्चों से मिलवा रहें हैं जो की सांप की ही तरह दिखाई देते हैं, ये बच्चे महाराष्ट्र के पिंपरी जिले में रहते हैं। डाक्टर्स की मानें तो इन दोनों बच्चों को ‘लामल्लार इचथ्योसिस’ नामक जेनेटिक बीमारी है। इस बीमारी के चेलते ही इन बच्चो को 6 स्कूलों में दाखिल भी नहीं मिल पाया है और वर्तमान में ये बच्चे एक सरकारी स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहें हैं। इन दोनों बच्चो का नाम सयाली कापसे और सिद्धार्थ है तथा दोनों की उम्र क्रमशः 13 तथा 11 साल है। डॉक्टर आयुष गुप्ता इन बच्चों का इलाज कर रहें हैं डॉक्टर आयुष गुप्ता ने बताया कि “जन्म के साथ मिली यह बीमारी जेनेटिक है। इनके माता-पिता में एक म्यूटेटेड (उत्परिवर्तित) जीन के न होने के चलते बच्चों में भी यह दोष आ गया। एक नॉर्मल इंसान की स्किन हर 28 दिन बाद चेंज होती है। पुरानी स्किन की जगह नई स्किन ले लेती है। आम इंसान में यह प्रॉसेस बहुत तेजी से होती है। इसलिए उसे इस चेंज का पता नहीं लगता। इस मामले में माता-पिता के एक-एक जीन डिफेक्टिव हैं, इसलिए इन बच्चों का स्किन चेंज नहीं हो पाती और शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जमा होता रहती है।”
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स्कूल में नहीं मिला दाखिला –
बच्चों की मां सारिका कापसे का कहना है- “जैसे-जैसे ये बड़े हुए, इनके शरीर के निशान गहरे होते गए। लोग इन्हें देख कर डर जाते हैं। आसपास के लोग इन्हें भूत और चुड़ैल कहते हुए दूरी बना लेते हैं। कुछ साल के लिए इन्हें स्कूल भी छोड़ना पड़ा। 6 स्कूलों ने इनका एडमिशन करने से मना कर दिया। अब दोनों गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। वहां भी बच्चे इनसे दूरी बना कर रहते हैं।लोगों को लगता है कि यह छुआछूत की बीमारी है। डरते हैं कि साथ रहने से उन्हें भी यह बीमारी हो जाएगी।”