कलियुग में भगवान विष्णु के अवतार को कल्कि अवतार कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस अवतार को कलियुग में जन्म लेना है। आपको हम सबसे पहले यह बता दें कि भगवान विष्णु दसवें अवतार को कल्कि अवतार कहा जाता है। अभी तक भगवान विष्णु के सिर्फ 9 अवतार हो चुके हैं और इस दसवें अवतार यानि कल्कि अवतार को कलियुग में होना है। कल्कि अवतार को भगवान कल्कि के नाम से जाना जाएगा है।
पुराणों में भगवान विष्णु की बहुत सी लीलाओं का वर्णन हैं और इन्हीं में से एक भगवान विष्णु के 10वें अवतार का वर्णन श्रीमद्भागवतपुराण में विस्तृत रूप से किया गया है। आपको हम बता दें कि श्रीमद्भागवतपुराण के बारहवें स्कन्ध के द्वितीय अध्याय में कल्कि अवतार का वर्णन मिलता है।
इस अध्याय में लिखा है कि “कल्कि का अवतार संभल नामक गांव के विष्णुयश नामक एक ब्राह्मण के घर में होगा। कल्कि देवदत्त नामक अपने घोड़े पर सवार होकर दुष्टों का संहार करेंगे और उसके बाद ही सतयुग का प्रारंभ होगा। कल्कि भगवान को ‘निष्कलंक भगवान’ भी कहा जाता है”।
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भगवान कल्कि मंदिर –
यहां पर भगवान कल्कि का मंदिर है। आपको बता दें कि यह विश्व का सबसे प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में जाने के लिए आपको राजस्थान के जयपुर की बड़ी चैपड़ से आमेर की ओर जानें वाली सड़क पर जाना होता है। इस स्थान पर पहुंचने के बाद आपको हवा महल मिलता है।
इस हवा महल के सामने ही यह भगवान कल्कि का प्राचीन मंदिर है। आपको हम बता दें कि इस मंदिर को जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह ने पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार 1739 ई. में दक्षिणायन शिखर शैली में निर्मित कराया था।