फर्जी डॉक्टर के बारें में यदि बात करें तो “फिल्म” मुन्ना भाई MBBS सबसे पहले जहन पर आती है। लेकिन यदि ऐसे डॉक्टर आपके आसपास ही देखने को मिले तो फिर आप क्या करेगें। जां हां.! यह सच कर देने वाला केस इन दिनों राजस्थान के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में देखने को मिला है। जिसने हर किसी को अंचभित कर दिया है। यहां एक डॉक्टर अपनी फर्जी डिग्री के सहारे लोगों का इलाज 9 सालों से कर रहा है।
जाली डिग्री के सहारा लेकर डॉक्टर बने मानसिंह बघेल 12वीं पास यह व्यकित एक दिन ट्रेन से यात्रा कर रहा था। उसे ट्रेन की य़ात्रा करने के दौरान उस बोगी में एक डॉक्टर की डिग्री के साथ कई अन्य दस्तावेज मिले। भारत में जहां अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों के डॉक्टर या इंजीनियर बनाने का पना देखते है वही बिना कोशिश किये यदि ड्रिग्री मिल जाये तो फिर क्या कहने। और यह व्यक्ति भी शायद यही हसरत पाले हुए था। अब हाथ में थी डॉक्टर की डिग्री। हालांकि इसमें नाम किसी और का था। जिसे बाद में उसने नाम बदल लिया और वह नाम वही रखा जो इस डिग्री पर था। डिग्री मिलते ही मानसिंह बघेल रातों रात डॉक्टर मनोज कुमार बन गया।
डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे इस देश में मानसिंह की फर्जी डॉक्टरी भी चल निकली। और आगरा में एक बड़ा क्लिनिक भी खोल लिया। 9 साल तक क्लिनिक चलाया। योजना के मुताबिक सबकुछ ठीक ही चल रहा था। 5 महीने पहले उसे पता चला कि राजस्थान के सीकर में एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती निकली है 12वीं पास ‘डिग्रीधारी’ मानसिंह बघेल ने वहां अप्लाई कर दिया। यहांभी उसकी किस्मत ने साथ दे दिया। और डिग्रीधारी फर्जी डॉक्टर मनोज कुमार को अस्पताल ने एक लाख रुपए की सैलरी में रख भी लिया।
अब यह फर्जी डॉक्टर हर दिन मरीजों को देखता। कभी कभी तो एक दिन में लगभग 25 मरीजों को देखता डालता था। और ऐसा करते करते 5 महीने में उसने दो हजार से ज्यादा मरीजों का चेकअप कर डाला। लेकिन चोरी तो चोरी होती है कभी पकड़ी भी जा सकती है और एक दिन एक महिला अपना इलाज कराने आई और तो इस फर्जी डॉक्टर की पोल खुल गई। बताया जाता है महिला इस डॉक्टर के पास दिल की बीमारी का इलाज कराने के लिए आई थी। फर्जी डॉक्टर ने महिला को ड्रिप चढ़ा दिया। इसके बाद मरीज की हालत बिगड़ गई। बाद में उसे दूसरे अस्पताल में रेफर करना पड़ा।
हालांकि ऐसा नहीं है कि फर्जी डॉक्टर ने ये काम पहले नहीं किया था। वह अधिकांश मरीजों को पेरासिटामोल जैसी सामान्य दवाएं लिखता था। गंभीर मरीजों को पहले ही किसी और अस्पताल में रेफर कर देता था। लेकिन इस बार अस्पताल प्रशासन को शक हुआ और चोरी पकड़ी गई।
थाना प्रभारी रानोली, पवन चौबे ने बताया
बताया जाता है कि फर्जी डॉक्टर की लगातार बढ़ती जा रही खराब गतिविधियों को देख जब अस्पताल के मालिक को डॉक्टर की डिग्री पर शक हुआ। इसके बारे में उन्होंने जानकारी जुटाने की कोशश की। तो पता चला कि डॉक्टर तो सिर्फ 12वीं पास है। और इसका असली नाम मानसिंह बघेल है। मनोज कुमार जो कि सरकारी डॉक्टर हैं, उनका पलवल में क्लिनिक है उनके नाम से डिग्री लेकर और अपना फर्जी वोटर आईडी लगाकर डॉक्टर बन गया था। सैलरी उठा रहा था। केस दर्ज करने के बाद जांच की गई।
जिस डॉक्टर की डिग्री खो गई थी उनका नाम मनोज कुमार है। हरियाणा के रहने वाले हैं। थाना प्रभारी पवन चौबे ने बताया कि डॉक्टर मनोज कुमार 2005 में बस से कहीं जा रहे थे. उस दौरान उनका बैग गुम हो गया. इस बैग में उनकी डिग्री के अलावा कई अन्य डॉक्यूमेंट थे। वह कई महिनों तक मानसिक रूप से परेशान रहे। उन्होंने फिर से डॉक्यूमेंट निकलवाए। एमएस किया और पलवल में खुद का अस्पताल चलाते हैं. उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं. उनकी डिग्री पर फर्जी तरीके से नौकरी करने की जानकारी मिली तो वह सीकर पहुंचे। और अपनी आप बीती बताई। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है कि अगर बैग 2005 में गुम हुआ था तो फर्जी डॉक्टर को यह डिग्री 5 साल पहले ट्रेन में कैसे मिली।