इस बात को तो आप भी मानेंगे कि पुराने समय में भारत में स्त्रियों की स्थिती कुछ खास नहीं थी। उन्हें परम्परा के नाम पर कई तरह की कुरीतियों का शिकार होना पड़ता था। उन्हें कभी भी अपने जीवन को अपनी इच्छा से जीने का हक नहीं दिया गया। पुरुष, महिलाओं को हमेशा ही हीन भावना से देखते थे। ऐसा कहा जाता है कि आज समाज बदल गया है, लेकिन क्या ये पूरी तरह सही है।
हम कहते तो यही हैं कि आज हमारे समाज में स्त्री पुरुष को बराबर समझा जाता है तथा कोई भी महिला को हीन भावना से नहीं देखता है, पर असल में ऐसा नहीं है। आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसी परम्पराएं हैं जिनके चलते एक स्त्री को अनेकों तरह के कष्ट सहने पड़ते हैं। जिस देश में स्त्री को देवी के रूप में पूजा जाता है वहीं स्त्रियों के साथ कुछ ऐसे अत्याचार हो रहे हैं जो एक स्त्री के साथ-साथ देश पर भी अत्याचार है।
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जन्म देने वाले मां-बाप के बारे में हर कोई ये ही सोचता है कि वो कभी अपने बच्चे के साथ कुछ गलत नहीं कर सकते, लेकिन आपने कभी ये सुना है कि कोई मां-बाप अपनी बेटी को केवल इसलिए बड़ा कर रहे हैं ताकि बड़ी होने पर वो उसे वैश्यावृत्ति के दलदल में धकेल सकें। हम जानते हैं कि आप इस बात पर यकीन नहीं करेंगे पर यह सच है कि आज भी स्त्रियों के साथ इस तरह का अत्याचार हो रहा है।
हमारे देश की राजधानी में ही एक ऐसा स्थान है जहां लड़कियों को इसलिए ही बड़ा किया जाता है ताकि वो अपने शरीर को बेच कर अपने परिवार का पेट भर सकें। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि यह जगह किसी दूर दराज के गांव या कस्बे में नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में ही है। जी हां, दिल्ली के नजफगढ़ में स्थित प्रेमनगर बस्ती में रहने वाली महिलाएं ना जाने कितने लंबे समय से इस जुल्म का सामना कर रही हैं।
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इस बस्ती में रहने वाले हर परिवार की रोजी रोटी इसी तरह चलती है। इस बस्ती में जब किसी के घर में लड़की जन्म लेती है तो उसके मां-बाप ही उसे उसी समय से वैश्यावृत्ति के काम में लगा देते हैं। जैसे ही लड़की 12 या 13 साल की होती है तो वो उसे दलालों के हाथों में सौंप देते हैं और ये दलाल उन बच्चियों को वैश्याओं के साथ बैठा देते हैं। वहां हर दिन उनके शरीर का सौदा किया जाता है।
यही नहीं यहां रहने वाली लड़कियों की शादी भी एक कमाई का जरिया होती है। शादी के समय भी लड़कियों की बोली लगाई जाती है तथा जो लड़का सबसे ज्यादा पैसे देता है उसे वो लड़की सौंप दी जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि शादी के बाद वो ये काम नहीं करती हैं। शादी के बाद भी उन्हें वैश्यावृत्ति का ही कम करना पड़ता है तथा उसके ससुराल के लोग ही उसके लिए ग्राहक खोजने लगते हैं।
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शादी होने के बाद उसे अपने घर का काम करने के साथ-साथ वैश्यावृत्ति भी करनी पड़ती है। वो रोज दिन में अपने घर का काम करती है और रात के समय 4 या 5 ग्राहकों के साथ रात गुजारती है। अगर आप यह सोच रहे हैं कि कोई महिला इसका विरोध क्यों नहीं करती है तो ऐसा नहीं है कि अभी तक किसी ने इसका विरोध नहीं किया है। ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जिन्होंने इसका विरोध किया और इस विरोध के कारण अपनी जान तक गंवा दी। इस बस्ती में रह रही ये सभी महिलाएं ना जाने कितने लंबे समय से इस अत्याचार को सह रही हैं।