हर साल 21 जून को दुनियाभर में योग दिवस मनाया जाता रहा है। शरीर को स्वस्थ दुरूस्त रखने के तन और मन की तंदरुस्ती बनाये ऱखने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर साल आज के दिन दुनिया को संदेश देने के लिए आयोजन में शामिल होते हैं। बीते चार सालों में वो दिल्ली, चंडीगढ़, लखनऊ और देहरादून में योग दिवस मना चुके हैं। आज यानि 5वें योग दिवस में पीएम ने रांची को चुना है
भारत से लेकर पूरी दुनियां में मनाये जाने वाला योग दिवस किसी एक दिन के लिये नही बल्कि हर रोज करने के लिये प्रेरित करता है। और इसकी प्रेरणा देने वाले उन गुरूओं के बारें में कोई नही जानता जिन्होनें कठिन परिश्रम से लोगों को योग से जुड़ने के लिये बड़ा योगदान दिया है। आज हम उन्ही गुरूओं के बारें में बता रहे है जिन्होनें भारत में योग परंपरा को समृद्ध बनाने में उनका महान योगदान रहा है।
आज देश-विदेश से लोग भारत में योग सीखने आते हैं। दरअसल यह उन्हीं योग गुरुओं की कठिन मेहनत का नतीजा है। 21 जून को विश्वभर में लोग अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएंगे। इस खास मौके पर आपको बताते हैं उन 7 योग गुरुओं के बारे में जिनकी बदौलत योग पूरी दुनिया में मशहूर हो गया।
धीरेंद्र ब्रह्मचारी-
धीरेंद्र ब्रह्मचारी ये वो योग गुरू है जो इंदिरा गांधी के योग टीचर के रूप में जाने जाते हैं. इन्होंने दूरदर्शन चैनल के माध्यम से योगा को लोगो तक पहुचानें और इसे अधिक से अधिक बढ़ावा देने का काम शुरू किया। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली के हर स्कूलों में जा जाकर योग को शुरू करवाया है। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे कई किताबें लिखकर योग को बढ़ावा दिया है। जम्मू में उनका एक आलीशान आश्रम भी है।
बीकेएस अयंगर-
योगा को दुनियाभर में पहचान दिलाने में बी के एस अंयगर का अहम रोल रहा है। उन्होनें योग को जन जन तक पहुचाने के लिये ‘अंयगर योग’ के नाम का एक योग स्कूल का निर्माण किया ।जिसके माध्यम से उन्होंने दुनियाभर के लोगों को योग के प्रति जागरूक किया था। साल 2004 में ‘टाइम मैगजीन’ ने उनका नाम दुनिया के टॉप 100 प्रभावशाली लोगों में उनका नाम चुना था। इसके अलावा उन्होंने पतंजलि के योग सूत्रों को नए सिरे से परिभाषित किया। ‘लाइट ऑन योग’ के नाम से उनकी एक किताब भी है, जिसको योग बाइबल के नाम से जाना जाता है।
महर्षि महेश योगी-
महर्षि महेश योगी देश और दुनिया में ‘ट्रांसैडेंटल मेडिटेशन’ के जाने-माने गुरु थे। इनसे कई बड़े बड़े सेलिब्रिटीज भी इतने प्रभावित है कि वो लोग इन्हें अपना गुरु मानते हैं। दुनियाभर में वो अपने योग से जाने जाते हैं वे श्री श्री रविशंकर भी महर्षि महेश योगी के शिष्य हैं।
तिरुमलाई कृष्णमचार्य-
तिरुमलाई कृष्णमचार्य को ‘आधुनिक योग का पिता’ कहा जाता है। हठयोग और विन्यास को दोबारा जीवित करने का पूरा श्रेय उन्हें ही जाता है। तिरुमलाई कृष्णमचार्य को आयुर्वेद के भी जनक थे। शरीर के उपचार के लिए आए लोगों को वो योग और आयुर्वेद की मदद से ही ठीक किया करते थ। उन्होंने मैसूर के महाराजा के राज के समय में पूरे भारत में योग को एक नई पहचान दिलाई थी।
कृष्ण पट्टाभि जोइस-
कृष्ण पट्टाभि जोइस भी एक महान योगगुरु थे. उनका जन्म 26 जुलाई 1915 और मत्यु 18 मई 2009 को हुई थी. कृष्ण ने अष्टांग विन्यास योग शैली विकसित किया था। उनके कई बड़े फालोयर्स थे जिसमें अनुयायियों में मडोना, स्टिंग और ग्वेनेथ पाल्ट्रो जैसे बड़े नाम शुमार थे।
परमहंस योगानंद-
परमहंस योगानंद बीसवीं सदी के एक आध्यात्मिक गुरू, योगी और संत थे ये अपनी किताब में ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ अ योगी’ के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने पश्चिम के लोगों को मेडिटेशन और क्रिया योग से परिचित कराया। इतना ही नहीं, योगानंद पहले साधु थे जिन्होंने भारतीय योग का झंडा यूरोप में ऊंचा किया उन्होंने अपना ज्यादातर जीवन अमेरिका में गुजारा था।
स्वामी शिवानंद सरस्वती-
स्वामी शिवानंद सरस्वती पेशे से डॉक्टर होने के साथ वेदान्त के महान आचार्य और सनातन धर्म के विख्यात नेता थे। उन्होंने योग, वेदांत और कई अन्य विषयों पर लगभग 200 से ज्यादा किताबें लिखी हैं। ‘शिवानंद योग वेदांत’ के नाम से उनका एक योग सेंटर भी चलाया। उन्होंने अपना पूरा जीवन योग तप में समर्पित कर दिया था। उन्होंने योग के साथ कर्म और भक्ति को एकजुट कर के दुनियाभर में योग का प्रचार किया था।