पिछले हफ्ते गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम करने पर रणदीप हुड्डा काफी निराश दिखे। उन्होंने इस बात की नाराज़गी ट्विटर पर जताते हुए कहा था कि ग्राम हमारा शब्द नहीं है। हरियाणवी में गांव या फिर गाम शब्द है। बाद में उन्होंने ट्विटर पर यह भी लिखा था कि गुड़गांव का नाम बदलना हमारे इतिहास, भाषा और संस्कृति को झटका है। उन्होंने अपनी बात को और अच्छे से समझाने का प्रयास भी किया था।
हुड्डा ने कहा कि जब मैंने ट्विटर पर पहला ट्वीट किया तो मुझे लगा कि मैं अपनी बात को अच्छे से समझा नहीं पाया हूं। मैं अपने मन की बात को सिर्फ 140 अक्षरों में नहीं बयान कर सकता। इसलिए अपनी बात बताने के लिए मैंने दोबारा ट्वीट किया। इस बात को लेकर मुझे देशद्रोही कहा गया। अपने मन की बात को सबके आगे जाहिर करने पर मुझे ऐसा रिस्पॉन्स मिला जैसे कि मैं भारत विरोधी हूं।
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इस बारे में आगे हुड्डा ने कहा कि मैं सिर्फ उस जगह के बारे में अपनी बात रख रहा था, जहां से मेरा नाता है। गांव और ग्राम का मतलब एक ही है। इस जगह को पहले से गुड़गांव कहा जाता है, जिसका मतलब है गुरु का गांव, तो इसे गुरुग्राम बनाने की क्या जरूरत थी। हरियाणा की बोलचाल की खड़ी बोली में हम ग्राम शब्द का इस्तेमाल नहीं करते। इसे या तो गाओं कहा जाता है या फिर भी गांव। किसी जगह के नाम से वहां की संस्कृति के बारे में पता चलना चाहिए। हमारी संस्कृति 6000 वर्ष पुरानी है। आज तक हम जिन चीज़ों का अनुसरण करते आए हैं, उनका क्या? सच्चाई यही है कि इस स्थान का नाम पिछली कई सदियों से गुड़गांव ही है। गुड़गांव हरियाणा से बड़ा इंटरनेशनल ब्रांड है।