कभी “इंसानी मल-मूत्र” को पैसे की जगह उपयोग किया जाता था इस देश में

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आपने कई देश देखें होंगे और बहुत से देशों और उनकी प्रथाओ के बारे में पढ़ा भी होगा, पर आज हम आपको एक ऐसे देश के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं जहां पर “इंसानी मल-मूत्र” को पैसे की जगह उपयोग किया जाता था। जी हां, आज हम आपको एक ऐसे देश के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं, जहां पर पैसे की जगह “इंसानी मल-मूत्र” का उपयोग किया जाता था। इसके अलावा अन्य भी कई ऐसे नियम इस देश के हैं, जिनको पढ़कर आप चकित रह जाएंगे। आइए जानते हैं इस देश एक बारे में।

“इंसानी मल-मूत्र” का उपयोग पैसे की जगह करने वाला यह देश “जापान” था। जी हां, आप जापान का नाम सुनकर चकित जरूर हो गए होंगे, क्योंकि यह देश वर्तमान समय में विज्ञान और तकनीक के साथ-साथ विकसित देशों में गिना जाता है और इसकी खुद की मुद्रा भी है, तो पैसे की जगह “इंसानी मल-मूत्र” का उपयोग आखिर जापान क्यों करेगा, तो हम आपको जानकारी दे दें कि आपका सोचना जायज है पर हम जापान के वर्तमान समय की बात नहीं कर रहें हैं, बल्कि हम 16वीं शताब्दी के जापान की बात आपको बता रहें हैं। उस समय जापान बहुत अशांत था और जापान में लगातार उठक पटक चलती रहती थी, दूसरी ओर जापान को गृह युद्ध की मार को भी झेलना पड़ रहा था, जो की लंबे समय से चल रहा था। समय बीतता गया और 1603 में तोकुगावा लेयासु ने जापान की सत्ता पर कब्जा कर लिया और इसके बाद जापान धीरे-धीरे उभरने लगा और पहले से शांत हो गया, तोकुगावा लेयासु ने कई प्रकार के नियम जापान के लोगों के लिए बनाए थे, जो काफी चकित कर देने वाले थे।

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आपको जानकार हैरानी होगी की जैसे वर्तमान समय में जापान सहित अन्य देशों में पैसे का उपयोग व्यापार तथा रोजमर्रा की वस्तुएं खरीदने के लिए होता है, वैसे ही उस समय “इंसानी मल-मूत्र” का उपयोग होता था यानि पैसे की जगह “इंसानी मल-मूत्र” ही बाजार में चलते थे। उस समय की दूसरी अजीब बात यह थी कि जापान से बहार वहां का कोई नागरिक नहीं जा सकता था और न ही किसी अन्य देश का नागरिक जापान में आ सकता था। इसके अलावा जापान में तलाक की प्रथा बहुत आम थी और इसके सभी अधिकार पुरुषों के पास थे। उस समय कोई भी पुरुष किसी भी स्त्री को तलाक देने का अधिकार रखता था। इस प्रकार के ऐसे और भी कई नियम थे जो की काफी अजीब और चकित करने वाले थे। यह समय करीब 250 सालों तक चलता रहा इसके बाद में जापान में नई सोच और नए विचार का उदय हुआ जिसके कारण ही आधुनिक जापान हमारे सामने है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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