हर वर्ष छात्र वार्षिक परीक्षाएं देते हैं। इन परीक्षाओं में पढ़ाई करके जाने वाले छात्र अपने आने वाले अंकों का पहले से ही अनुमान लगा लेते हैं। वहीं, कमजोर और एवरेज छात्र परीक्षा देने के बाद यही दुआ करते हैं कि कैसे ही बस वो अच्छे अंकों के साथ पास हो जाए। वहीं इन सबसे अलग एक निराला मामला गुजरात में देखने को मिला। जहां गुजरात सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड के शिक्षकों ने एक छात्र को अकाउंटिंग की परीक्षा पेपर में 100 अंकों में से 101 नंबर ही दे डाले। फिलहाल संबंधित बोर्ड से तकनीकी गड़बड़ी बता कर अपना पल्ला झाड़ रहा है।
देश में मार्च में अधिकतर सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। विभिन्न राज्यों के परीक्षा बोर्डों द्वारा आयोजित की जाने वाली इन परीक्षाओं में लाखों की संख्या में छात्र परीक्षा देने के लिए बैठते हैं। हर बार थोड़ी बहुत छोटी मोटी गलतियां तो हो ही जाती हैं, पर कुछ दिनों पहले एक ऐसा मामला प्रकाश में आया जिसके कारण सभी लोग अचंभित रह गए। यह मामला वर्ष 2015 की परीक्षा का है। इसमें एक छात्र को अकाउंटिंग के पेपर के लिए 101 नंबर मिल गए, जबकि परीक्षा केवल सौ नंबरों की ही थी।
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इस मामले को गुजरात सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड ने गंभीरता से लेते हुए मामले को उजागर न करते हुए आंतरिक जांच शुरू कर दी थी। अब मामले के प्रकाश में आने पर जांच में पता चला है कि यह तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुआ था, जबकि इस मामले के बाद स्कूल बोर्ड एग्जाम आउटसोर्स कराने वाली एजेंसी को बदलने पर विचार किया जा रहा है। इससे पहले इस एजेंसी के द्वारा पिछले वर्ष ग्यारहवीं कक्षा का संस्कृत का परीक्षाफल दोबारा घोषित करना पड़ा था। वजह यह थी कि एजेंसी के द्वारा गलत आंसरशीट को आधार बनाकर कॉपियां जांची गई थी। इसी कारण अब मार्च में होने वाली नई परीक्षाओं के लिए इस एजेंसी को बदलने पर विचार किया जा रहा है।
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वहीं, नंबर की गलती पर एक अधिकारी ने बताया कि जब बोर्ड में नंबरों की जांच चल रही थी तो हमने पाया कि एक छात्र को 100 नबंर में से 101 अंक दिए गए हैं। जब छात्र की कॉपी निकाल कर दोबारा देखा गया तो कुल अंक 90 ही आए। नंबरों की गणना में गलती के कारण ही ऐसी गड़बड़ी हुई थी।