इस धरती पर पुरुष और महिला के साथ ही एक अन्य वर्ग भी है, जो कि ना तो पूरी तरह से पुरुष है और ना ही महिला। ऐसे लोगों में लिंग विकसित नहीं हो पाता है और इन्हें किन्नर कहा जाता है। पुरानी कथाओं में भी कई किन्नरों का जिक्र किया गया है। आपको यह बात पता ही होगी कि महाभारत में भीष्म की मृत्यु के पीछे एक किन्नर को ही कारण माना जाता है। इस किन्नर का नाम शिखंडी था। अब सवाल यह आता है कि पुरुष और नारी के बीच में एक अलग लिंग का जन्म कैसे हो जाता है। इस बारे में पुराण और ज्योतिषशास्त्र क्या कहते हैं, जानने के लिए पढ़ें।
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ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक जन्मपत्री के आठवें घर में शनि और शुक्र हो, जिसे चन्द्र और गुरु नहीं देख पा रहा हों, तो ऐसे में व्यक्ति किन्नर पैदा हो सकता है। कुंडली के जिस घर में शुक्र बैठा है, उसके छठें या आठवें घर में अगर शनि बैठा है तो व्यक्ति में शारीरिक संबंध बनाने में कमी होती है।
अगर आपका लग्न मेष, सिंह, धनु, मिथुन और कुंभ हो और कर्क, वृश्चिक, मकर, वृष और मीन मंगल हो और इसकी दृष्टि लग्न स्थान पर हो तो ऐसे में इंसान का लिंग अविकसित हो सकता है।