ताजमहल को मुमताज की कब्र नहीं, बल्कि एक हिंदू मंदिर साबित करते हैं ये ऐतिहासिक तथ्य

-

 

ताजमहल को वैसे तो सभी प्रेम की निशानी के रूप में देखते हैं, पर भारत के इतिहासकार इसके प्रति अलग ही तथ्य पेश करते हैं, जो ताजमहल को एक हिंदू मंदिर घोषित करते हैं। आज हम आपको ऐसे ही कुछ तथ्यों से यहां रूबरू करा रहें हैं। आपको बता दें कि ताजमहल को आज भी शाहजहां द्वारा मुमताज की याद में निर्मित कराया हुआ माना जाता है। कहा जाता है कि यह शाहजहां के मुमताज के प्रति प्रेम की निशानी का असल केंद्र है। वहीं दूसरी ओर ताजमहल के वास्तु और निर्माण प्रक्रिया के कुछ ऐसे तथ्य मिलते हैं, जो यह बताते हैं कि ताजमहल का निर्माण मुमताज के मरने के बहुत पहले ही हो चुका था। भारत के इतिहासकार “पुरुषोत्तम ओक” ने ताजमहल के इन तथ्यों को अपनी पुस्तक में क्रमबद्ध किया है। आइए हम आपको उन सभी तथ्यों में से कुछ तथ्यों को आपके सामने यहां रखते हैं ताकि आप स्वयं इस बात पर विचार कर सकें कि असल में ताजमहल क्या था।

1 – मुमताज इंतकाल –

ताजमहलImage Source: 

माना जाता है कि ताजमहल का निर्माण 1632 में प्रारंभ हुआ और 1653 में पूरा हुआ था। अब जरा विचार करें कि जब मुमताज का इंतकाल 1631 में ही हो गया था, तब उसको ताजमहल में कैसे दफनाया होगा।

2 – मंदिर कलश –

ताजमहलImage Source: 

कलश स्थापना हमेशा मंदिर पर ही होती है, ना की किसी कब्रगाह पर। ताजमहल के मुख्य गुंबद पर कलश स्थापन आखिर किस बात की ओर संकेत करती हैं, वह आप स्वयं सोच लें। पहले यह कलश सोने का हुआ करता था, पर अब यह कासे का है।

3 – यमुना नदी का तट –

ताजमहलImage Source: 

हिंदू मंदिर नदियों के तट पर ही बनते आये हैं। आज बहुत से प्रसिद्ध मंदिर नदियों के तट पर स्थापित हैं, जबकि इस्लाम में ऐसी कोई प्रथा नहीं है कि नदी के तट पर किसी की कब्रगाह बनाई जाए। इसके अलावा नदी के तट पर बने मंदिरों में 2 शिवलिंगो को स्थापित करने का रिवाज पहले से था, जिसका उद्धरण आप महालेश्वर मंदिर तथा सोमनाथ में देख सकते हैं। ये दोनों शिवलिंग मंदिर की पहली तथा दूसरी मंजिल पर स्थापित होते थे। इतिहासकार मानते हैं कि ताजमहल में भी कुछ ऐसा ही था, पर अब नीचे के शिवलिंग को तहखाना तथा ऊपर के शिवलिंग को कब्र बता कर उनको छुपाया जा रहा है।

4 – हिंदू चिन्ह –

ताजमहलImage Source: 

ताजमहल के गुंबद का कलश चंद्रमा के बीच में बना है जो कि चन्द्रमा की दोनों नोक और कलश की नोक को मिलाकर एक त्रिशूल की आकृति को बनाता है जो कि हिंदू धार्मिक चिंह है। बताया जा रहा है कि इस कलश पर नारियल की आकृति भी बनी है और इस कलश के दोनों ओर आम के पत्तों को भी दर्शाया गया है। इस प्रकार का चिंह हिंदू धर्म में शुभता का प्रत्येक माना जाता है।

5 – ताजमहल का इस्लामीकरण –

ताजमहलImage Source: 

इसिहासकार मानते हैं कि ताजमहल जब 1632 से बनना शुरू हुआ तब से इसका इस्लामीकरण का कार्य भी शुरू हो गया। बताया जाता है कि ताजमहल के मुख्य द्वार पर 1649 में कुरान की आयतें लिखी गई थी। ताजमहल के मुख्य द्वार पर ही छोटे गुंबद जैसा आकार बना हुआ है जो की हिंदू वास्तु शैली को प्रदर्शित करता है।

इस प्रकार के इतिहासकार “पुरुषोत्तम ओक” ने ऐसे अनेक तथ्यों को उजागर किया था, जो यह बताते हैं कि ताजमहल पहले से निर्मित था और एक हिंदू मंदिर था, पर बाद में इसका इस्लामीकरण किया गया। खैर, आप हमारे द्वारा दिए इन कुछ तथ्यों पर विचार करें और हमें भी अपने विचार दें।

shrikant vishnoi
shrikant vishnoihttp://wahgazab.com
किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments