हिन्दू ने मुस्लिमों को नमाज के लिए दी अपनी जगह

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एक ओर जहां दादरी की घटना से हिन्दू-मुस्लिम एकता और प्रेम के बीच कुछ खटास आ गई थीं, वहीं मुंबई के धारावी में एक हिंदू ने अपनी जगह नमाज के लिए देकर सामाजिक सद्भावना की मिसाल पेश की है। यह घटना है धारावी के मुकुंद नगर की।

यहां की जय बजरंगबली सोसायटी के ग्राउंड फ्लोर की दुकान में दोपहर की नमाज हो रही है। दुकान में इसलिए क्योंकि पास की नूर मस्जिद का पुनर्निमाण चल रहा है। जिसके चलते नमाजियों को परेशानी हो रही थी। दुकान में नमाज पढ़ने आए सदरुद्दीन बताते हैं कि मस्जिद टूटने के बाद लोग बिखर गए थे। नमाज पढ़ने के लिए अलग-अलग जगहों पर जाना पड़ता था। इसलिए हमने इलाके में चमड़े के कारोबारी दीपक काले से बात की और वह मान गए। अपनी ढाई हजार फुट की जमीन मस्जिद को दे दी और वह भी बिना किसी किराए के। इलाके में इतनी जमीन का किराया हजारों में है। पांच महीने हो गए हैं तब से हम इसी दुकान में नमाज पढ़ रहे हैं।

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दीपक काले का कहना है कि आस-पास के सभी लोग उनके मित्र हैं। इसलिए जब उन्होंने नमाज पढ़ने के लिए जगह मांगी तो वह तैयार हो गए। वैसे भी यह जगह खाली पड़ी थी। काले ने सिर्फ जगह ही नहीं दी उसमें लाइट, पंखा और वुजू का इंतजाम भी किया है। नूर मस्जिद से जुड़े गुफरान का कहना है कि हमने सिर्फ 2 महीने के लिए बात की थी, लेकिन 5 महीने हो गए हैं। हम इसी जगह पर नमाज पढ़ रहे हैं। दीपक काले ने कभी कुछ भी नहीं कहा। यह अपने आप में काफी बड़ी बात है।

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अतिउल्ला चौधरी यह कहते हुए जरा भी नहीं झिझके कि नमाज पढ़ने के लिए इतनी बड़ी जगह मुफ्त में हमारे अपने भी नहीं देते, लेकिन दीपक काले ने हिंदू होकर भी बिना किसी लिखा पढ़ी के जगह दे दी। हम इनके शुक्रगुजार हैं। मस्जिद का काम पूरा होते ही हम वापस उसमें चले जाएंगे।

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यहां खास बात यह है कि इस इमारत का नाम जय बजरंगबली हाउसिंग सोसायटी है और इसका अध्यक्ष एक मुस्लिम है। हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की यह खबर ठंडी हवा के उस झोंके से कम नहीं जो जानलेवा गर्मी से राहत देती है। सांप्रदायिकता की गर्मी में झुलस रहे देश को आज ऐसे ही ठंडी हवा के झोंके की जरूरत है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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