देखा जाये तो अपने देश में ऐसे बहुत से स्थान हैं जो हिन्दू-मुस्लिम एकता को लंबे समय से जिन्दा रखे हुए हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही स्थान के बारे में बता रहे हैं जहां हिन्दू के अलावा मुस्लिम लोग भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। खास बात यह है कि ये जगह पाकिस्तान में है। ऐसा माना जाता है कि इस शक्तिपीठ के दर्शन किये बगैर कोई तीर्थयात्रा कभी पूरी नहीं मानी जाती है। यह एकमात्र शक्तिपीठ है जो पाकिस्तान में स्थित है और मार्च के माह में यहां पर बड़ा मेला लगता है। जिसमें हिन्दू और मुस्लिम लोग दर्शन करने दूर-दूर से आते हैं।
हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान में स्थित “हिंगलाज शक्तिपीठ” की। यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में अपना विशेष स्थान रखता है। यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज नामक स्थल पर स्थित है और कराची से 144 किमी. दूर है। मुस्लिम हिंगलाज देवी को “नानी” के सम्बोधन से पुकारते है और यहां दर्शन करने आते रहते हैं।
मंदिर का आकार-
इस शक्तिपीठ में देवी के दर्शन “ज्योति स्वरूप” में होते हैं। यह शक्तिपीठ भारत के “वैष्णो देवी मंदिर” के जैसे ही गुफा के आकार में बना है। मुस्लिम लोग भी काफी संख्या में यहां आते हैं। हिंगलाज की इस यात्रा को मुस्लिम लोग “नानी का हज” नाम से पुकारते हैं। बलूचिस्तान के मुस्लिम लोग हिंगलाज की उपासना बहुत अधिक करते हैं।
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हिंगलाज की यात्रा-
यहां की यात्रा वैसे तो कराची से ही शुरू होती है, पर मुख्य यात्रा कराची से 10 कीमी दूर “हांव नदी” के तट से शुरू होती है। यहां से लासबेला नामक स्थान पर जाया जाता है। यहां पर देवी की एक मूर्ति है जिसके दर्शन वहां के पुरोहित कराते हैं। यहां दर्शन करने के बाद “शिवकुण्ड” नामक स्थान की ओर जाया जाता है जो कि यहां से आगे है। शिवकुण्ड को यहां चन्द्रकूप भी कहा जाता है। यह एक खौलता हुआ ज्वालामुखी जैसा ही है, जो अपने अंदर से धुंआ उगलता रहता है। इस स्थान से सीधे हिंगलाज शक्तिपीठ के लिए जाया जाता है।
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उत्सव-
यहां प्रतिवर्ष मार्च माह में मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा अप्रैल में विशाल धार्मिक महोत्सव होता है, जिसमें हिन्दू-मुस्लिम साथ-साथ शरीक होते हैं। भारत के लोगों को हिंगलाज शक्तिपीठ के दर्शन करने के लिए पासपोर्ट और वीजा की आवश्यकता होती है।