तो इसलिए दूल्हे को घोड़े की जगह घोड़ी पर ही बैठाया जाता है

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आपने शादियां काफी देखी होंगी पर क्या आप जानते हैं कि दूल्हें को घोड़े की जगह घोड़ी पर ही क्यों बैठाया जाता है, असल में यह एक प्रथा है जो की सदियों से चल रही है जिसमें दूल्हे को घोड़ी पर ही बैठाया जाता है, पर इस बात को बहुत कम लोग ही जानते हैं कि दूल्हें को घोड़ी पर ही क्यों बैठाया जाता है, इसलिए आज हम आपको बता रहें हैं कि दूल्हे को घोड़े पर न बैठा कर घोड़ी पर ही वधू पक्ष के घर की ओर क्यों रवाना किया जाता है।

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असल में यह प्रथा पौराणिक घटना पर ही आधारित है जिसके अनुसार जब भगवान सूर्य के चार बच्चे यम, यमी, तपती तथा शनि पैदा हुए थे, तो उस समय उनकी पत्नी “रूपा” ने घोड़ी का ही रूप धारण किया था। उस समय से ही घोड़ी को ही उत्पत्ति का कारक माना जाता है। इसके अलावा घोड़ी चतुर, दक्ष और बुद्धिमान भी होती और उसको सिर्फ एक स्वस्थ व्यक्ति ही नियंत्रित कर सकता है, इसलिए घोड़ी पर बैठने से यह एक प्रतीत भी होता है कि घोड़ी पर बैठने वाला शख्स न सिर्फ स्वस्थ है बल्कि वह अपने परिवार तथा अपनी पत्नी की बागडोर को भी अच्छे से संभाल सकता है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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