कहा जाता है कि किसी भी राष्ट्र का विकास वहां के युवाओं पर निर्भर करता है। जिस देश के युवा जितने ज्यादा जागरूक, जोश, जूनून और जज्बे से भरे होंगे उस देश की विकास दर भी उतनी ही ज्यादा होगी। वहीं, इसके विपरित ये भी कहते हैं कि जिन्दगी को तबाह करने के लिए एक बुरी लत ही काफी है। शायद यही बुरी लत आज हमारे देश के युवाओं को लग गई है और सभी जानते हैं कि वो लत क्या है। वो लत है शराब की, जो आजकल 60 प्रतिशत से अधिक मामलों में परिवार टूटने की मुख्य वजह बनी हुई है। इसे गंभीरता से देखते हुए बिहार सरकार ने एक काबिले तारीफ फैसला लिया है। जिससे अब शराब के ठेकों पर जाने से परिवारों में विवाद भी नहीं होगा और लोगों की सेहत भी बनेगी।
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अब आप सोच रहे होंगे कि शराब के ठेकों पर सेहत, ये कैसे मुनासिब है। आपको बता दें कि बिहार के मुखिया नीतीश कुमार ने राज्य के विकास को देखते हुए एक फैसला लिया है। नीतीश कुमार के मुताबिक राज्य में सैंकड़ों शराब की दुकानें जल्द ही अब दूध बेचेंगी। बिहार में अगले साल से शराब पर पाबंदी लगाने की घोषणा करने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में जब शराब की दुकानें बंद होंगी तो दुकानदार चाहें तो वहां दूध बेच सकते हैं। उन्होंने बताया कि शराबबंदी लागू होने पर करीब छह हजार शराब की दुकानें बंद हो जाएंगी। इन दुकानदारों के पास यह विकल्प रहेगा कि वे चाहें तो बिहार स्टेट कोपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन लिमिटेड द्वारा संचालित सुधा के उत्पाद बेच सकते हैं। इससे न केवल राज्य सरकार द्वारा संचालित इस फेडरेशन की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी बल्कि इन शराब की दुकानों में काम करने वालों को फिर से रोजगार भी मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि वह बिहार में शराबबंदी के अपने फैसले पर पूरी तरह कायम हैं। यह हमारा राज्य की लाखों महिलाओं से किया हुआ कमिटमेंट है। उन्होंने शराब के अवैध कारोबार बढ़ जाने की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी अच्छे प्रयास को इस प्रकार के डर के कारण नहीं रोकना चाहिए। हमारी सरकार शराबबंदी से होने वाले प्रभावों से निपटने के लिए हर उपाय पर विचार कर रही है। शराबबंदी को प्रभावी बनाने की जिलाधिकारी एवं आरक्षी अधीक्षक की संयुक्त जिम्मेदारी होगी और उन्हें इस काम में हजारों स्वयं सहायता समूह मदद करेंगे।