आज का इतिहास- “जन-गण-मन” के जन्मदाता रविन्द्र नाथ टैगोर का हुआ जन्म

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विश्व के इतिहास में आज के दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई थीं, लेकिन भारत के इतिहास के पन्नों में आज का दिन बेहद खास माना जाता है। सन् 1861 में 7 मई को कोलकाता में विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, कहानीकार, संगीतकार और चित्रकार रविन्द्र नाथ टैगोर का जन्म हुआ था। वह एक अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ है। वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम एशियाई और साहित्य में नोबेल पाने वाले यह पहले गैर यूरोपिय भी हैं।

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वह दुनिया के पहले ऐसे अकेले कवि हैं जिनकी रचनाएं दो देशों के राष्ट्रगान हैं। भारत देश का राष्ट्रगान “जन-गण-मन” और बांगलादेश का राष्ट्रगान “आमार सोमार बांगला” इनकी रचनाएं हैं। रविन्द्र नाथ टैगोर का जन्म कोलकाता के एक अमीर बंगाली परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ नाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। वह बचपन से काफी ज्यादा प्रतिभाशाली थे। रविन्द्र नाथ टैगोर वकील बनने की इच्छा से लंदन भी गए थे, लेकिन वहां से पढ़ाई पूरी किए बिना ही वापस लौट आए।

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उन्होंने भारतीय संस्कृति में नई जान फूंकने में काफी अहम भूमिका निभाई। 1882 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ था। आपको बता दें कि रविन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी पहली कविता 8 साल की छोटी सी उम्र में ही लिख दी थी, लेकिन जब उनकी कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद होने लगा जब जाकर दुनिया को उनकी प्रतिभा का पता चला। प्रकृति से प्रेम करने वाले रविन्द्रनाथ ने शांति निकेतन की स्थापना भी की थी।

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इस महान रचनाकार ने 2000 से भी ज्यादा गीत लिखे हैं। उन्होंने 1919 में हुए जलियांवालाबाग हत्याकांड की जमकर निंदा भी की थी। इसके विरोध में उन्होंने अपना “सर” का खिताब भी लौटा दिया था। जिस पर अंग्रेजी अखबारों ने टैगोर की काफी निंदा की। काबुलीवाला, पोस्टमास्टर, मास्टर साहब उनकी प्रसिद्ध कहानियां हैं।

1902 से 1907 के बीच की रचनाओं में उनकी पत्नी के मरने का और दो बच्चों के मरने का दर्द साफ छलकता है। रविन्द्र नाथ टैगोर के महात्मा गांधी में हमेशा वैचारिक मतभेद रहे, लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे का काफी सम्मान करते थे। उन्होंने जीवन की हर सच्चाई को काफी सहजता से स्वीकार किया था। रविन्द्र नाथ टैगोर 7 अगस्त 1941 को दुनिया को अलविदा कह गये।

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