निकाह के बाद दूल्हे ने मांगा दहेज तो दुल्हन ने दिया तलाक, जूतों की माला पहना कर लौटाया बैरंग

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किसी भी रूप में दहेज मांगना एक अपराध ही माना जाता है, हाल ही में हुए एक निकाह में जब दूल्हे ने दहेज के नाम पर “पल्सर बाइक” की मांग की, तो निकाह के तुरंत बाद दुल्हन ने ही दूल्हे को तलाक दे दिया। इसके बाद गांव वालों ने भी दूल्हे की विदाई चप्पल जूतों की माला पहना कर की। जी हां, यह बात है बीते बुद्धवार की इस दिन झारखंड की राजधानी रांची के चंदवे गांव में बारात लेकर आए एक दूल्हे को गांव के लोगों ने सबक के तौर पर जूते की माला पहनाई और उसके गले में “मैं दहेज लोभी हूं” की तख्ती टांगी तथा साथ में उसको गंजा कर बिना दुल्हन के ही विदा कर दिया। आइए अब आपको बताते हैं इस पूरी खबर के बारे में।

आपको सबसे पहले हम बता दें कि इस मामले में दूल्हे का नाम “मुमताज अंसारी” तथा दुल्हन का नाम “रुबाना परवीन” है, जो की रांची के चंदवे गांव की रहने वाली है। इनका निकाह बीते मंगलवार को संपन्न हुआ था और दोपहर में सभी कार्य समाप्त होने के बाद निकाह को पूरा कर दिया गया था। लड़की के पिता ने दूल्हे को “पैशन प्रो” बाइक दहेज में दी थी। जिसको लेकर विदाई के समय दूल्हा बिगड़ गया और “पल्सर” बाइक की मांग करने लगा। इस बात पर तनातनी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि बात तलाक तक आ पहुंची। दूसरी ओर लड़की ने भी दहेज के लोभी दूल्हे के साथ जाने से मना कर दिया, तब बुद्धवार को काजी साहब को बुला कर तलाक की रस्म अदा कराई गई।

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तलाक के बाद में दुल्हन पक्ष के लोगों ने पौने सात लाख रूपए की मांग की, जो की बारात के स्वागत तथा दहेज के सामान के लिए लड़की के पिता की ओर से खर्च किए गए थे, पर दूल्हे पक्ष ने इतने पैसे लौटाने में अपनी असमर्थता जताई, तो लड़की वालों ने दूल्हे के गले में “मैं लालची हूं” लिखी हुई तख्ती लटका दी तथा साथ ही में दूल्हे को जूतों की माला भी पहनाई गई और दूल्हे तथा उसके भाई का सिर और मूंछे मुंडवा दी गई। इस शादी की सबसे अच्छी बात यह रही कि तलाक के बाद में लड़की की शादी एक अन्य लड़के से हो गई। आपको हम बता दें कि लड़की ने 12 वीं तक की पढ़ाई की है और लड़की के पिता की एक चाय की दुकान है। सरकार सहित समाज को राह दिखाने वाले कितने ही लोगों ने कितनी ही बार लोगों को समझाया हो कि दहेज एक दानव है, जो वैवाहिक जीवन को खा जाता है, पर अब तक जो लोग इसे नहीं मानते हैं, तो उन्हें इसी प्रकार के परिणाम भुगतने को तैयार रहना ही चाहिए।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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