भारत में कई सारी परम्पराएं और रीति रिवाज मौजूद है। यहां पर हर कोस पर रिवाज बदल जाते है। इतना ही नहीं यहां पर जन्म से लेकर मृत्यु तक कई सारे संस्कारों को किया जाता है। इसके अलावा यहां पर हर जाति के अपने-अपने अलग रीति रिवाज भी हैं। शादी हमारे देश में एक ऐसी परंपरा है जिससे समाज का निर्माण शुरू होता है। आपको बता दें कि शादी से भी जुड़ी देश में कई परंपराएं हैं, जिनके बारे में सुनकर ही पैरों तले से जमीन खिसक जाए। आज हम आपको देश की एक ऐसी ही परंपरा के बारे मे बता रहे हैं जिसमें पोते की शादी उसकी ही दादी से करवा दी जाती है।
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जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के बेहंगा में रहने वाले गोंड समुदाय में महिलाओं को विधवा नहीं रखा जाता है। इस समुदाय की महिला के विधवा होने पर उसके ही परिवार के कुंवारे लड़के से उसकी शादी करवा दी जाती है। ऐसे में दादी की शादी पोते से भी करा दी जाती है। इस समुदाय में अगर कोई महिला शादी करने से इंकार कर देती है तो उसे परिवार का कोई कुंवारा लड़का चांदी के कड़े देता है। इन कड़ों को देने वाला लड़का ही फिर उस महिला की पूरी जिम्मेदारी उठाता है।
इस समुदाय में रहने वाले पतिराम वारखेड़े के दादा की कुछ दिन पूर्व मृत्यु हो गई थी। दादा की मृत्यु के नौ दिन के बाद ही इस नाति पातो परंपरा के तहत उनकी शादी उनकी दादी से करवा दी गई। इसके बाद वो सभी कार्यक्रमों में शादीशुदा पति पत्नी की तरह ही शामिल हुए।
इस समुदाय में दादी से शादी करने वाले को ही घर का मुखिया माना जाता है। चाहे वो उम्र में घर का सबसे छोटा ही क्यों न हो। इसके अलावा बालिग होने पर लड़का दूसरी शादी भी कर सकता है, लेकिन दादी के जीवित रहने तक नई पत्नी को दूसरी पत्नी का ही दर्जा मिला रहता है।