बेटी के जन्म लेने के बाद किसी के घर में खुशी, तो किसी के घर में गम वाला माहौल बनता है क्योंकि आज भी कुछ पुरानी सोच के लोग लड़कियों को बोझ समझ कर उसकी भावनाओं को नजरअंदाज कर जाते हैं। देखा जाये तो आज के समय में लड़कियां हर स्तर पर लड़के से कम नहीं हैं। बस जरूरत है उन्हें सही शिक्षा के साथ सही तालीम देने की, जिससे वो और आगे बढ़ सकें।
इस बदलते समय में कुछ मां बाप ऐसे भी हैं जो अपनी लड़कियों को चार दीवारी के अंदर ना रख कर बेहतर शिक्षा देने के साथ उन्हें आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। इनके साथ-साथ कुछ बातों के लेकर हमें लड़कियों की परवरिश पर खासतौर पर ध्यान देना पड़ता है। उसके खाने पीने, उठने बैठने से लेकर तौर तरीकों को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते और इन सभी के चलते हर मां की जिम्मेदारी अपनी बेटी के प्रति ज्यादा बढ़ जाती है। आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं। जानें लड़कियों की परवरिश के कुछ खास तरीके-
सही आचरण पर ध्यान दें- ज्यों-ज्यों बेटी बड़ी होती है उसके आचार विचार बदलते हैं। जिसके लिये जरूरी है कि बेटी को हमेशा सही आचरण सिखाये बड़े छोटों को आदर करने के साथ बोली में मधुरता लाने का प्रयास करें।
पहनावे पर ध्यान दें-
लड़कियों के हर पहली पर ध्यान रखते हुये मां को चाहिये कि बेटी के सभी कार्यों पर नजर रखें। जब वो स्कूल, कॉलेज या फिर ऑफिस के लिये तैयार होती है तो बेटी को उसी तरह के परिधान के लिये बोलें जो दिखने में सही लगें। सही तरीके के कपड़े जो तन को ढकते हुये उसके शरीर की शोभा बड़ायें ना कि शरीर का अंग प्रदर्शन करें।
– आने-जाने का समय
बेटी के बड़े होने से मां की जिम्मेदारी भी बढ़ती है। बच्चे के आने-जाने के समय की जिम्मेदारी काफी अहम हिस्सा होती है और इन्हीं प्रकार की गतिविधियों से बेटी के चाल चलन का आभास हमें हो जाता है। अपने बेटी के स्कूल कॉलेज या फिर ऑफिस के समय की जानकारी अवश्य रखें। जिससे कि वो सही समय पर जाये और सही समय पर घर वापस आये। अगर कभी किसी वक्त देर भी हो जाये तो उसे डांटने की बजाय प्यार से समझायें।
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– उसका विश्वास बढ़ाएं
हमेशा आप अपनी बेटी के साथ मां का ही व्यवहार ना करें, एक दोस्त बनकर उसकी हर बातों को शेयर करने का मौका दें और उसे अच्छे, बुरे की पहचान करायें। जिससे उसका आपके प्रति विश्वास बढ़ेगा। इसके साथ ही सही गलत की पहचान भी होगी।
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-संगति पर नजर रखें
जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो उनके दोस्त यार भी बनते हैं, जिससे वो अपने मन की बात भी उनसे शेयर करते हैं पर दोस्ती यदि अच्छे लोगों से हो तो बच्चे के भविष्य के लिये काफी अच्छी होती है। गलत संगति का असर भी गलत ही होता है। इसलिये जब आपकी बेटी किसी से दोस्ती करे तो उस दोस्त के बारे में अच्छे से जानकारी कर लें।
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– थोड़ा स्पेस भी दें
हर वक्त बेटी पर नजर रखे रहने से उस पर उसका गलत प्रभाव पड़ सकता है। इससे दोनों में एक दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना बढ़ जाती है। इसलिये बेटी को समझाएं कि जो काम करो सही तरीके का हो जिससे परिवार की इज्जत पर कोई आंच ना आये। बेटी से मां बाप का नाम बढ़े बदनामी नहीं और इसी भरोसे के साथ बेटी को अपने हर कामों के लिये स्वतंत्र रखें।
– अपनी बातों को बेटी पर थोपें नहीं
हमेशा कोशिश करें कि बच्चों से हर बात मनवाना भी ठीक नहीं है। उसके विचारों को भी सुनकर उसे आगे के लिये प्रोत्साहित करें जिससे कि वो बिना किसी डर के अपने कामों को पूरे विश्वास के साथ कर सके। उस पर अपनी बातों को ना थोपें। इससे उसका आत्मविशवास बढ़ेगा और अपने काम करते समय वह कोई भी गलत फैसला नहीं लेगी।
– अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाएं
बच्चों को अपने काम खुद से करने के लिये प्रोत्साहित करें इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। इसके साथ ही उनमें अपने आप कुछ करने का एक विश्वास जाग्रत होता है। उनमें किसी प्रकार के स्वार्थ की भावना को ना प्रवेश होने दें। इसके लिये उन्हें इस बात का एहसास जरूर करायें। अपने सपनों के साकार करने के लिये उन्हें आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित करें जिससे वो अपने पैरों पर खड़े होने के लायक बनें।
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– आदर्श महिला की प्रेरणा दें
बेटी को हमेशा आप एक अच्छी आदर्श महिला बनने की प्रेरणा दें ताकि उन्हें देख कर और आपकी सही सीख को पा कर उन्हें एक अच्छा संदेश मिले।