शिक्षक यानि गुरु जीवन को नया आयाम देने वाला सर्वप्रथम व्यक्ति होता हैं, आज आप जो भी हैं और जहां भी हैं उसके मूल में कहीं न कहीं आपके शिक्षक की मेहनत और आपका उनके प्रति समर्पण ही हैं। जानकारी दुनिया की हो या धर्म की शिक्षा की, मिलती दोनों ही शिक्षक से हैं। कबीर कभी पढ़े नहीं पर आध्यात्म के जिस शिखर पर वे खड़े थे वहां से ही उन्होंने दुनिया को शिक्षक के प्रति समर्पण, प्रेम और उसके बड्डपन के बारे में बताया।
कबीर कहते हैं कि –
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े काके लागूं पांय ।
बलिहारी गुरु आपने गोबिंद दियो बताय ॥
यहां कबीर ने शिक्षक को ईश्वर से भी ऊंचा इसलिए बताया है क्योंकि उनका कहना है कि यदि शिक्षक ही नहीं होता तो कोई उस ईश्वर को जान ही नहीं पता क्योंकि शिक्षक ही वह व्यक्ति है जिसने ईश्वर का साक्षात्कार कराया है इसलिए शिक्षक ही ईश्वर से प्रथम स्थान का अधिकारी है। अपने देश में गुरु-शिष्य परंपरा आदिकाल से चलती आ रही है। जिसमें गुरु ने अपने शिष्य को सबकुछ सिखाने के लिए जीवन का सम्पूर्ण ज्ञान दिया है वहीं शिष्य ने भी अपने गुरु के लिए अपने जीवन का उत्सर्ग कर सम्पूर्ण समर्पण किया है। शिक्षक दिवस की पावन बेला पर आइये जानते हैं शिक्षक दिवस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में शिक्षक दिवस यह अपने देश में होता है, 5 सितंबर को राधाकृष्णन का जन्म दिवस भी है और ये भारत के दूसरे राष्ट्रपति रहें हैं।
- 1985 में शिक्षक दिवस के रूप में 10 सितंबर घोषित किया गया था पर चीन के लोग यह चाहते हैं कि शिक्षक दिवस को कन्फ्यूशियस के नाम पर मनाया जाए।
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- थाईलैंड में शिक्षक दिवस को 6 जनवरी को होता है, 21 नवंबर, 1956 को एक एक प्रस्ताव के तहत इसको मंजूरी दे दी गई थी और इस दिन का अवकाश घोषित किया गया था।
- 24 नवंबर को तुर्की में शिक्षक दिवस माना जाता है, इसकी शुरुआत यहां के प्रथम राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने की थी।
- 16 मई को मलेशिया में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, इस पर्व को यहां “हरी गुरु” कहा जाता है जो की मलेशिया को भारत की संस्कृति से कहीं न कहीं जोड़ता है।