गुड फ्राइडे – प्रेम और क्षमा के इस पर्व पर जानें ईसा मसीह के अंतिम प्रेरणादायक शब्द

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आज के शुक्रवार को “गुड फ्राइडे” के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। जी हां, आज के शुक्रवार को ईसाई धर्म में खास मान्यता दी जाती है और इसको एक पर्व की तरह मनाया जाता है। सर्वमान्य रूप में यह दिन एक बलिदान दिवस माना जाता है और आज हम आपको इस दिन हुई उस ऐतिहासिक घटना से रूबरू करा रहें हैं। जिसको जानकार हर कोई प्राचीन समय से प्रेरणा लेता आता है, तो आइए जानते हैं गुड फ्राइडे का इतिहास।

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असल में आज के दिन ही ईसाई घर में प्रवर्तक ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था और ईसाई धर्म के अनुसार वह दिन शुक्रवार का दिन ही था, जो की प्राय अप्रैल माह में ही पड़ता है। आज के दिन ही ईसा मसीह ने बहुत सी अमानवीय यातनाएं सह कर मानवता के लिए तथा दुनिया में बढ़ रहें पाप के लिए प्राण देकर, अपने निःस्वार्थ प्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण दुनिया के सामने पेश किया था। इसलिए अधिकतर लोग इसको “गुड फ्राइडे” कहते हैं। वहीं बहुत से लोग इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में भी देखते हैं, इसलिए वे इस दिन को “ब्लैक फ्राइडे” भी कहते हैं। गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में इकट्ठा होते हैं और प्रार्थना करते हैं। इस दिन सभी लोग ईसा मसीह के वचनों तथा उपदेशों को याद करते हैं तथा उनको अपने जीवन में उतारने की प्रतिज्ञा करते हैं। सूली पर लटकने के बाद में ईसा मसीह ने बहुत मार्मिक शब्द कहें थे, जिनसे उनके निष्कपट प्रेम तथा उनकी करुणा के बारे में पता लगता है, ईसा मसीह ने कहा था कि “हे प्रभू इनको क्षमा कर देना क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहें हैं।”, सूली पर चढ़ाएं जाने से पहले ईसा मसीह के साथ बहुत ज्यादा अमानवीय कृत्य किए गए थे। ईसा के सिर पर कांटों का ताज लगाया गया, उनको खुद ही अपनी सूली उठाने को मजबूर किया गया तथा इस दौरान उन पर थूका गया एवं लगातार कोड़े लगाए गए। ईसा मसीह को शराब जबरन पिलाई गई तथा अंतिम परिणीति के रूप में उनको अन्य दो अपराधियों के साथ में सूली पर लटका दिया गया।

आपको हम बता दें कि ईसा मसीह अपने को पूर्ण रूप से ईश्वर को समर्पित कर चुके थे, इसलिए वे उसको अपना पिता तथा खुद को उसका पुत्र मानते थे। ईसा को जब सूली पर चढ़ाया गया और जब उनके प्राण शरीर से निकलने का समय आ पहुंचा, तो उन्होंने अपने आखरी शब्द कहे और यह शब्द ईश्वर से की गई प्रार्थना के प्रतीक रूप थे। ईसा ने कहा कि “हे प्रभू मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं।” और इसके बाद में ईसा ने अपने प्राण छोड़ दिए थे।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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