अपने देश में हम राष्ट्रीय उत्सवों पर राष्ट्रीय ध्वज को पूर्वकाल से ही फहराते आएं हैं, पर क्या आप जानते हैं कि हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज को आजादी से पहले किस स्थान पर अंग्रेजों के सामने फहरा दिया गया था? यदि नहीं, तो आज हम आपको अपने इस आलेख के जरिए इस रोचक गाथा को बता रहें हैं, जब ब्रिटिश राज में भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अंग्रेजों के सामने फहरा दिया गया था।
बात उस समय की है जब देश को आजाद कराने के लिए बहुत से युवा भी क्रांतिकारी लोगों में शामिल हो रहें थे। ये सभी युवा “गर्म दल” के माने जाते थे। इन लोगों ने कई ऐसे कार्य किये जिनसे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की जड़े अंदर तक हिल गई थी। चोरी-चोरा कांड और काकोरी कांड जैसे कार्य इन युवाओं ने ही किये थे।
इस प्रकार का एक और कार्य था जिसको “धानापुर कांड” के नाम से जाना जाता है, हालांकि इसको जितनी अहमियत इतिहास में मिलनी चाहिए थी, उतनी नहीं मिल पाई, पर यह कार्य अपने में बहुत महत्वपूर्ण और रोमांचक था। असल में धानापुर ही वह स्थान है जहां पर देश की आजादी से पहले ही तिरंगे को युवा क्रांतिकारियों ने फहरा दिया था और ब्रिटिश सरकार देखती रह गई थी।
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आपको बता दें कि महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के खत्म होने के बाद भी उत्तर प्रदेश के लोगों में आजादी का खुमार चरम सीमा पर था। इसी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के धानापुर स्थान पर 16 अगस्त, 1942 को वहां के पुलिस स्टेशन को क्रांतिकारियों ने खुलेआम घेर लिया था और तिरंगे को अंग्रेजों के सामने ही फहरा डाला था। थाने के दरोगा ने क्रांतिकारियों से ऐसा करने को मना किया, पर जब लोग उग्र हुए तब उसने क्रांतिकारियों पर गोली चला दी, पर इसी बीच कुछ क्रांतिकारियों ने थाने पर चढ़ कर तिरंगे को फहरा दिया था।
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गोली लगने से कई क्रांतिकारी वीरगति को प्राप्त हो गए थे, इसलिए लोगों में दरोगा और पुलिस के लोगों के प्रति आक्रोश फूट पड़ा। कहा जाता है कि इस घटना में क्रांतिकारियों ने अंग्रेज दरोगा सहित तीन-चार पुलिस वालों को घेर कर जिंदा जला डाला था। धानापुर में इस क्रांति को स्वतंत्रता सेनानी “कांता प्रसाद विद्यार्थी” ने अपनी अगुवाई में शुरू किया था। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के जिला चंदौली के हेतमपुर गांव में कांता प्रसाद विद्यार्थी का जन्म 1896 में हुआ था। देश को आजादी मिलने के बाद में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा था और धानापुर क्षेत्र से 10 वर्ष तक विधायक भी रहें थे।