भारत के सनातन धर्म में योग की बहुत सी धाराएं प्राचीन काल में उदय हुईं। इनमें से जप योग, अष्टांग योग, लय योग के साथ अन्य और भी बहुत सी प्रविधियां उत्पन्न हुई हैं। इन्हीं यौगिक प्रविधियों में से एक है “हठयोग”, इस प्राविधि में साधक अपने हठ अर्थात जिद के कारण कठिन से कठिन साधना को साधता है। यही कारण है कु प्राचीन काल की यौगिक प्राविधि को “हठयोग” नाम दिया गया। इस प्राविधि के साधक “संत प्रेमगिरी महाराज” गुजरात के कच्छ से नर्मदा नदी की परिक्रमा करने के लिए बीते मंगलवार को निकले।
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संत प्रेमगिरी महाराज को जिसने भी देखा वह हैरान रह गया क्योंकि उनका एक हाथ हमेशा ऊपर की ओर उठा रहता है। वे ओंकारेश्वर में पहुंचे और नर्मदा नदी में स्नान कर भगवान शिव का आशीर्वाद लिया। कुछ लोगों ने उनसे उनके एक हाथ को हमेशा ऊपर उठाये रखने का रहस्य पूछा। इस पर संत प्रेमगिरि जी ने कहा कि “वे एक हठयोगी है और वे पिछले 13 वर्ष से लगातार साधना कर रहें हैं। इसी कारण वे अपने हाथ को हमेशा ऊपर की ओर उठाये रखते हैं।” उन्होंने आगे बताते हुए कहा “मेरी अपनी कोई इच्छा नहीं है। 13 वर्ष पहले मेरे मन में एकाएक अपना एक हाथ लगातार ऊपर रखने का विचार उठा था तब से मैं हमेशा अपना एक हाथ ऊपर रखता हूं। शुरुआत में कुछ तकलीफ हुई थी, पर अब कोई परेशानी नहीं है। हठयोगी होने के कारण मेरी इच्छाशक्ति काफी बढ़ गई है इसलिए अब एक हाथ लगातार ऊपर रखने पर कोई तकलीफ नहीं होती है।”
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देवी नर्मदा में स्नान करने के बाद में उन्होंने लोगों से कहा कि “प्राचीन काल से ऋषि मुनि नर्मदा नदी की परिक्रमा करते आये हैं। यह कोई नई बात नहीं है। वर्तमान में पेड़ों के कटान तथा अवैध खनन द्वारा नर्मदा को बहुत हानि हुई है। सरकार को इसके लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। नदियां हमारे देश के लिए जीवन का कार्य करती हैं। इनकी देखभाल का कार्य सरकार को अवश्य करना चाहिए। यदि नदियां रहेगीं तो ही हमारा देश भी रहेगा।”