मध्य प्रदेश के खरगौन जिले में बसा एक छोटा सा गांव जिसका नाम है बडी..जगंलों और पहाड़ो के बीच बने इस गांव में काफी असुविधाओं के चलते यहां की कुल आबादी है 2500 है, पर अब तक इस गांव में 350 लोग आत्महत्या कर चुके हैं।
इस तरह से हो रही आत्महत्या का कारण यहां के लोगों के अनुसार इस गांव पर किसी बुरी आत्मा का साया है। जो हर साल किसी न किसी आदमी के सिर पर सवार हो जाता है और उसकी बली चढ़ जाती है। वहीं गांव के मुखिया का कहना है कि छोटा सा यह गांव जो जंगल के बीच होने के कारण चारों ओर हरियाली से भरा पड़ा है यहां पर खाने-कमाने के लिए भी बहुत कुछ है, फिर भी क्यों हर साल कोई न कोई एक शख्स अकाल मृत्यु के काल में समा कर जान से हाथ धो बैठता है। इसका कारण आज तक कोई नहीं जान पाया कि इस तरह से होने वाली मौत का कारण आखिर क्या है।
इस गांव के तीन सौ से ज्यादा परिवार ऐसे पाये गये है जिनके घर से हर किसी एक सदस्य ने आत्महत्या कर मौत को गले से लगाया है। इस साल की गणना के अनुसार अब तक 80 लोग आत्म हत्या कर चुके हैं। बताया तो यहां तक जाता है कि इस ग्राम के मुखिया के खुद के दो भाई और मां ने आत्महत्या की हैं। इसी तरह की घटनाएं कनाडा के एक गांव अट्टावापिसकेट में भी देखने को मिली थी जिसमें पिछले साल सितंबर से 111 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जान दी थी जिससे वहां की सरकार ने इन आत्महत्याओं को रोकने के लिए आपातकाल की घोषणा तक कर दी थी ।
वही वैज्ञानिकों का तर्क इस विषय पर पेस्टीसाइड का अत्यधिक मात्रा में उपयोग होना बताया जा रहा है जो शरीर के अंदर जाकर हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर कमजोर बना देता है। जिससे वो किसी भी छोटी बात को अपने दिल से लगा लेते हैं और आत्महत्या करना ही अच्छा उपचार मानते है। इस तरह से होने वाली घटनाओं से मध्यप्रदेश या भारत सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया हैं और ना ही इस बारे में वो कुछ कहना चाह रही हैं।